लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रथम विश्वयुद्धोत्तर काल की भारतीय परिस्थितियों का असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने में क्या योगदान था?
2. 'रॉलेट एक्ट' के विषय में आप क्या जानते हैं? यह किस प्रकार असहयोग आन्दोलन का एक कारण बना?
3. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने असहयोग आन्दोलन को अवश्यम्भावी बना दिया था, स्पष्ट करें।
4. 'हण्टर समिति प्रतिवेदन' पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
5. 'खिलाफत आन्दो
लन' क्या था? असहयोग आन्दोलन के प्रादुर्भाव में इसकी क्या भूमिका थी?

उत्तर -

इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी किसी व्यवस्था में अन्याय, अत्याचार व शोषण पनपता है तो जनता द्वारा शोषणकारी राज्य व सरकार के विरुद्ध आवाज अवश्य ही उठायी गयी है। यही स्थिति भारतीय जनता की भी रही। सन् 1918-19 ई. तक की भारतीय परिस्थितियों में ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी नीतियाँ चरम पर थीं। ऐसे में जनता का विरोध करना अवश्यंभावी हो गया। तत्कालीन समय में भारतीय राजनीतिक पटल पर महात्मा गाँधी का उदय हो चुका था। उन्होंने भारतीय जनमानस को विरोध प्रदर्शित करने का एक नवीन मार्ग दिखलाया, यह मार्ग 'असहयोग' व सत्याग्रह का मार्ग था, जोकि अहिंसा, नैतिकता और सद्भावना पर आधारित था। प्रारम्भ में महात्मा गाँधी ब्रिटिश सरकार के सहयोगी बने रहे परन्तु सत्ता के विरुद्ध प्रत्यक्ष रूप से व्यापक अहिंसात्मक विरोध का बिगुल फूँक दिया। 'असहयोग आन्दोलन' उनके ब्रिटिश सरकार विरोधी एवं भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन सम्बन्धी कार्यक्रम का प्रथम व्यापक प्रत्यक्षीकरण था।

असहयोग आन्दोलन के तत्कालीन परिस्थितियों में अनेक अपरिहार्य कारण मौजूद थे, जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -

असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने के कारण - सन् 1919 ई. में प्रारम्भ हुए असहयोग. आन्दोलन के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे-

(1) प्रथम विश्वयुद्धोत्तर कालीन भारत में घोर निराशा और असन्तोष - स्वतंत्रता, प्रजातन्त्र और आत्मनिर्णय के नाम पर लड़े गये प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारतीय जनता से ब्रिटिश सरकार ने शीघ्रातिशीघ्र उत्तरदायी शासन की स्थापना के आश्वासन द्वारा धन-जन की भरपूर सहायता प्राप्त की। परन्तु युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत को पूर्ण स्वराज्य न देकर 1919 ई. का भारतीय शासन अधिनियम पारित कर दिया जो भारतीय जनता की आशाओं के विपरीत था। इस अधिनियम से कोई भी सन्तुष्ट नहीं था। इस सन्दर्भ में तिलक ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि - "हमें बिना सूर्य के प्रभात दिया गया है।' इसके साथ-साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा युद्ध में व्यय की गई अपार राशि (लगभग 1.5 अरब पौण्ड ) को भी भारतीय जनता से वसूलने का प्रयास किया गया। जनता पर भारी मात्रा में 'कर' लगाये गये तो वहीं तमाम आवश्यक वस्तुओं के दामों में भी असाधारण वृद्धि करके धन की वसूली की गयी। इन स्थितियों के चलते जनसाधारण को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। अतः इन निराशाजनक स्थितियों में जनता के पास प्रतिकार के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं था। फलस्वरूप जनता ने असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

(2) रौलेट एक्ट - प्रथम विश्व युद्ध के उपरान्त भी तमाम सुधारवादी आश्वासनों की उपेक्षा करते हुए ब्रिटिश सरकार स्वाधीनता हेतु संघर्षरत् क्रान्तिकारियों पर नियन्त्रण के नाम पर अपना दमन चक्र निरन्तर बनाए रखना चाहती थी। इस हेतु ब्रिटिश सरकार ने सन् 1917 ई. में 'सर सिडनी रौलेट' की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। समिति लगभग 4 माह उपरान्त अप्रैल, 1918 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के वर्तमान फौजादारी कानून क्रान्तिकारियों और उनकी गतिविधियों को कुचलने के लिए अपर्याप्त हैं। अतः सरकार ने इस सन्दर्भ में दो विधेयकों को तैयार कर उन्हें पारित करा लिया, इन्हें ही 'रौलेट एक्ट' के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को महज संदेह के आधार पर गिरफ्तार करके अनिश्चित समय तक नजरबन्द रखा जा सकता था। 18 मार्च, 1919 ई. को 'रौलेक्ट एक्ट लागू कर दिया गया। इसका भारत में चारों ओर घोर विरोध हुआ। पं. मोतीलाल नेहरू के शब्दों में, "अधिनियम ने अपील, वकील और दलील की व्यवस्था का अन्त कर दिया। अतः इस एक्ट ने की असहयोग आन्दोलन को आवश्यम्भावी बना दिया।

(3) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड - रौलेट एक्ट के विरोध में भारत के अन्य प्रान्तों के समान ही पंजाब में भी हड़ताले और प्रदर्शन प्रारम्भ हो गये। तत्कालीन पंजाब का गवर्नर 'मायकेल ओ डायर' था, जोकि अत्यन्त ही अत्याचारी व स्वेच्छाचारी अधिकारी था। उसने इस प्रकार के आन्दोलनों को सख्ती से कुचलने का निर्णय लिया। उसने कांग्रेसी नेताओं डॉ. सैफुद्दीन किचल और डॉ. सत्यपाल की बन्दी बना लिया। 13 अप्रैल, सन् 1919 ई. को बैशाखी के पुनीत पर्व पर अमृतसर के जलियाँवाला बाग में इन अत्याचारी नीतियों का विरोध करने हेतु एक अहिंसात्मक जन सभा का आयोजन किया गया। इसमें अपार जनसमूह ने भाग लिया जिसमें स्त्री-पुरुष, बालक, वृद्ध इत्यादि सभी शामिल थे। यह स्थान तीन ओर से ऊँची-ऊँची दीवारों से घिरा था, उसमें आने-जाने का केवल एक संकरा मार्ग था। जब तकरीबन 25,000 के लगभग जनता वहाँ एकत्रित होकर शान्तिपूर्ण ढंग से ब्रिटिश सरकार की अत्याचारी नीतियों का विरोध कर रही थी। ऐसे ही समय जनरल डायर सेना की टुकड़ी के साथ वहाँ पहुँचा और बिना किसी चेतावनी एवं हवाई फायर के सीधे गोली मारने का आदेश दे दिया। फलस्वरूप लगभग 10 मिनट तक लगातार गोलियों बरसती रहीं और निहत्थे, असहाय लोग तिल-तिल कर मरते रहे। इस गोलीकाण्ड में लगभग 1 हजार लोग मारे गये। इससे समस्त भारत की जनता का खून खौल उठा और इसी उत्तेजना ने असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ को अपरिहार्य बना दिया।

(4) हण्टर समिति प्रतिवेदन - ब्रिटिश शासन ने पंजाब राज्य की घटना से उत्पन्न भारतीय जनता के, क्रोध को शान्त करने के लिये एवं गाँधी जी द्वारा दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की माँग को देखते हुए हण्टर समिति गठित की गयी। इस समिति में लॉर्ड हण्टर अध्यक्ष तथा कुछ अन्य सदस्य नियुक्त किये गये। इस समिति को जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की जाँच करनी थी। परन्तु जैसी की आशा की समिति ने दोषी अधिकारियों के कृत्य को न्यायोचित ठहराया। इसी क्रम में 'डायर' के प्रशंसकों ने उसे चाँदी की तलवार और 20 हजार पौण्ड की धनराशि देकर सम्मानित किया। यह सब भारतीय जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान था। वास्तव में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ओर हण्टर समिति के प्रतिवेदन ने भारतीय जनता के हृदय में एक ऐसे ज्वालामुखी को जन्म दिया जो आगे चलकर 'असहयोग आन्दोलन' के रूप में फूट पड़ा।

(5) खिलाफत आन्दोलन - प्रथम विश्वयुद्ध में टर्की मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जर्मनी के साथ लड़ रहा था। चूँकि भारतीय मुसलमान टर्की के सुल्तान को अपना खलीफा (धर्म गुरु) मानते थे। अतः ब्रिटेन द्वारा टर्की के विरुद्ध युद्ध किया जाना उनकी दृष्टि में उनके धर्म गुरु का विरोध किया जाना था। इसलिये इस युद्ध में भारतीय मुसलमान ब्रिटेन को किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं देना चाहते थे। परन्तु ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मुसलमानों का सहयोग प्राप्त करने हेतु यह आश्वासन दिया कि युद्ध की समाप्ति पर ब्रिटेन टर्की के प्रति बदले की भावना से व्यवहार नहीं करेगा और न ही उसे विभाजित करेगा। परन्तु युद्ध समाप्ति पर ब्रिटिश सरकार ने सेवर्स की सन्धि के तहत टर्की को छिन्न-भिन्न कर दिया। खलीफा को बन्दी बना लिया गया। इस घटना से भारतीय मुसलमान ब्रिटिश शासन के अत्यधिक विरुद्ध हो गये। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खलीफा की सत्ता पुनर्स्थापित करने के लिए 'खिलाफत आन्दोलन' प्रारम्भ कर दिया। गाँधी जी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित होने के आधार पर असहयोग आन्दोलन करने का निश्चय किया गया।

इस प्रकार उपर्युक्त प्रमुख कारणों के चलते असहयोग आन्दोलन का प्रादुर्भाव हुआ।

 

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book