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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2789
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?

उत्तर -

उत्तर व्यस्कावस्था
(Late adulthood)

50-60 वर्ष की अवस्था उत्तर व्यस्कावस्था कहलाती है। यह अवस्था शारीरिक, मानसिक, संवेगिक, परिवर्तनों की अवस्था है। इस अवस्था में हमारे शरीर में अनेकों परिवर्तन आते हैं जो निम्नलिखित हैं-

1. शारीरिक परिवर्तन - इस अवस्था में शरीर में अनेकों परिवर्तन होते हैं जैसे

1. पाचन संस्थान में परिवर्तन - इस अवस्था में पाचन संस्थान कमजोर होने लगता है। पाचन तंत्र से निकलने वाले स्राव का स्रावण कम हो जाता है जिसके कारण भोजन ठीक प्रकार से नहीं पचता है । पाचक रसों का ठीक प्रकार से काम न कर पाने के कारण कैल्शियम एवं लौह लवण का अवशोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है जिससे शरीर में थकावट, कमजोरी का अनुभव जल्दी होने लगता है। आँतों की क्रियाशीलता कम होने लगती है। कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है, आँतों की क्रियाशीलता में कमी आने लगती है जिससे भोज्य पदार्थों का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता है और शरीर में विभिन्न तत्वों की कमी होने लगती हैं।

2. आधारीय चयापचय दर में कमी - इस अवस्था में शारीरिक क्रियाशीलता में कमी आने लगती है और नये तन्तुओं का निर्माण होना कम हो जाता है। अतः आधारीय चयापचय दर में कमी आने लगती है।

3. लम्बाई एवं भार में अन्तर - इस अवस्था में लम्बाई एवं भार में अन्तर आने लगता है। शरीर के ऊतक एवं मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगती हैं जिससे व्यक्ति की लम्बाई एवं भारत में अन्तर आने लगता है और व्यक्ति वृद्धावस्था की ओर अग्रसर होता है।

4. नाड़ी संस्थान में अन्तर - इस अवस्था में नाड़ी संस्थान कमजोर होने लगता है। तंत्रिकाएँ कमजोर होने लगती हैं जिससे दृष्टि क्षमता, श्रवण क्षमता, घाण क्षमता कमजोर जोने लगती है। इस अवस्था में मस्तिष्क का भार भी कम होने लगता है। केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र में परिवर्तन आने से बौद्धिक क्षमताओं का ह्रास होने लगता है।

5. अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से हारमोन का स्रावण कम मात्रा में होना - इस अवस्था में अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से हारमोन्स का स्रावण कम होने लगता है जिससे शरीर में हारमोन्स का असन्तुलन होने लगता है। इस अवस्था में थॉयराइड एवं पैराथॉयराइड ग्रन्थियों से निकलने वाले हारमोन्स में असन्तुलन आने से अस्थि विकृति की समस्या आने लगती है क्योंकि कैल्शियम का चयापचय एवं अवशोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है।

6. हड्डियों एवं दाँतों में परिवर्तन - इस अवस्था में हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। अस्थि विकृति गठिया रोग आदि होने लगते हैं। शरीर में कैल्शियम तथा फास्फोरस धीरे-धीरे कम होने लगता है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं और जरा सी चोट लगने पर टूट जाती हैं। इसलिए इस अवस्था में डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम टेबलेट लेना शुरू कर देना चाहिए।

इस अवस्था में दाँत एवं मसूढ़े भी कमजोर होने लगते हैं। मसूढ़े कमजोर होने से दाँत टूटने लगते हैं और अनेक प्रकार की दाँतों, मसूढ़ों से सम्बन्धित समस्याएँ पैदा होने लगती हैं। दाँतों के टूटने से मुँह की आकृति में भी परिवर्तन आने लगता है।

7. रक्त परिसंचरण तन्त्र में अन्तर - इस अवस्था में रक्त परिसंचरण तन्त्र में परिवर्तन आने लगता है। इस अवस्था में हृदय की पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण उनमें क्रियाशीलता में कमी आने लगती है। रक्त नलिकाओं में जमाव होने लगता है जिसके कारण उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हृदय रोग आदि होने की सम्भावना होने लगती है। इस अवस्था में नियमित व्यायाम और डॉक्टरी चेकअप करवाते रहना चाहिए।

8. त्वचा एवं बालों में परिवर्तन - इस अवस्था में त्वचा एवं बालों में परिवर्तन आने लगता । वाह्य त्वचा का पतला होना, तैलीय एवं स्वेद ग्रन्थियों के अपक्षय से त्वचा शुष्क एवं खुरदरी होने लगती है। चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं, बाल सफेद होने लगते हैं, नाखून कड़े एवं चमकहीन होने लगते हैं।

9. जनन क्षमता में अन्तर - इस अवस्था में जनन क्षमता का ह्रास होने लगता है। स्त्री-पुरुषों की लैंगिक जनन क्षमता कमजोर हो जाती है। कामशक्ति घट जाती है। अतः इस अवस्था में व्यक्ति अध्यात्म की ओर मुड़ने लगते हैं।

10. शारीरिक स्वास्थ्य में परिवर्तन - इस अवस्था में शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है तथा अनेकों स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं जैसे- अनिद्रा, शीघ्र थक जाना, भूख न लगना, कानों में सनसनाहट, त्वचा में संवेदनशीलता, पैरों में समस्या, आँतों सम्बन्धी विकास, अम्लता की समस्या, हृदय विकास की समस्या आदि परिवर्तन होने लगते हैं जिससे व्यक्ति में उदासीनता का भाव उत्पन्न होने लगता है और कुसमायोजना की समस्या उत्पन्न होने लगती है। शारीरिक क्षमता में कमी के कारण शरीर की क्रियाशीलता कम होने लगती है। शारीरिक क्रियाशीलता कम होने से व्यक्ति खुद को असहाय महसूस करने लगता है।

II. मानसिक परिवर्तन - इस अवस्था में मानसिक क्षमतओं का ह्रास होने लगता है। इस अवस्था में मानसिक परिवर्तन तीव्र गति से होने लगते हैं। व्यक्ति की रुचियों, आदतों और मनोवृत्तियों में परिवर्तन आने लगता है। स्मरण शक्ति कम होने लगती है। इन अनेक कारणों से इस अवस्था में समायोजन की समस्या उत्पन्न होने लगती है। चूँकि इस अवस्था के अन्त में व्यावसायिक जीवन के समापन का समय होता है। अतः उनमें यह धारणा उत्पन्न होने लगती है कि अब परिवार व समाज में उनकी आवश्यकता नहीं है। वे दूसरों पर बोझ हैं। उनकी यह अवधारणा मानसिक तनाव पैदा करता है। वे जिद्दी, क्रोधी होने लगते हैं जिससे परिवार के वे साथ समायोजन में कठिनाई महसूस करते हैं।

III. सामाजिक परिवर्तन - इस अवस्था के अन्त में व्यक्ति समाज की भागीदारी और गतिविधियों में हिस्सा लेना बन्द कर देता है। इस समय व्यक्ति सुख, शान्ति और प्रतिष्ठा से जीने की कामना करने लगता है। उनका चिंतन यथार्थवादी हो जाता है। सामाजिक सम्बन्धों के प्रति मनोवृत्तियाँ दृढ़ हो जाती हैं। इस समय व्यक्ति अपने सन्तान के साथ समायोजन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है क्योंकि आयु के अन्तराल के कारण दोनों के विचारों, सोचने के तरीकों और मनोवृत्तियों में अन्तर होता है। उचित समायोजन के लिये आवश्यक है कि व्यक्ति अपने परिवार के साथ उचित तालमेल रखे जिससे उनकी वृद्धावस्था मानसिक सन्तुष्टि व शान्ति के साथ व्यतीत हो सके।

चूँकि वृद्धों को आधुनिक समाज द्वितीय श्रेणी का नागरिक मानता है। समाज यह मानता है कि एक आयु के बाद स्वास्थ्य, आर्थिक दशा व शारीरिक दशा के कमजोर हो जाने से व्यक्ति परिश्रम नहीं कर सकता है। अतः व्यावसायिक समस्याएँ उनके लिये चुनौतियाँ बन जाती हैं जिनका सामना करने की शक्ति इस अवस्था में नहीं रहती है। समाज द्वारा उन्हें द्वितीय श्रेणी प्रदान करने से उनके मन में सुरक्षा से जुड़े कई सवाल उत्पन्न होते हैं जिनका उनके व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक अनेकों परिवर्तन होते हैं जिसके कारण इस अवस्था में व्यक्ति को अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन व्यक्ति को अपने आपको कमजोर नहीं समझना चाहिए। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ानी चाहिए। सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेना चाहिए जिससे शारीरिक क्रियाशीलता बनी रहे और व्यक्ति अपने को असहाय महसूस न कर सके।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- विकास सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए तथा इसके मुख्य नियमों को समझाइए।
  3. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में अनुदैर्ध्य उपागम का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता व सीमायें बताइये।
  4. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में निरीक्षण विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यक्तित्व इतिहास विधि के गुण व सीमाओं को लिखिए।
  7. प्रश्न- मानव विकास में मनोविज्ञान की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  9. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ बताइये।
  10. प्रश्न- मानव विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन की व्यक्ति इतिहास विधि का वर्णन कीजिए
  12. प्रश्न- विकासात्मक अध्ययनों में वैयक्तिक अध्ययन विधि के महत्व पर प्रकाश डालिए?
  13. प्रश्न- चरित्र-लेखन विधि (Biographic method) पर प्रकाश डालिए ।
  14. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में सीक्वेंशियल उपागम की व्याख्या कीजिए ।
  15. प्रश्न- प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकासात्मक संकृत्य पर टिप्पणी लिखिये।
  16. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी है ? समझाइए ।
  17. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से है। विस्तार में समझाइए।
  18. प्रश्न- नवजात शिशु अथवा 'नियोनेट' की संवेदनशीलता का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है ? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये ।
  20. प्रश्न- क्रियात्मक विकास की विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
  21. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का अर्थ एवं बालक के जीवन में इसका महत्व बताइये ।
  22. प्रश्न- संक्षेप में बताइये क्रियात्मक विकास का जीवन में क्या महत्व है ?
  23. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से है ?
  24. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल के क्या उद्देश्य हैं ?
  26. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
  27. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
  28. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
  29. प्रश्न- प्रसवपूर्ण देखभाल बच्चे के पूर्ण अवधि तक पहुँचने के परिणाम को कैसे प्रभावित करती है ?
  30. प्रश्न- प्रसवपूर्ण जाँच के क्या लाभ हैं ?
  31. प्रश्न- विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
  32. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  33. प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
  34. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शैशवावस्था में बालक में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है?
  36. प्रश्न- शिशु के भाषा विकास की विभिन्न अवस्थाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  38. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  39. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
  40. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  41. प्रश्न- शैशवावस्था में सामाजिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
  42. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते है ?
  43. प्रश्न- सामाजिक विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ?
  44. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये ।
  45. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? समझाइये |
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को समझाइए ।
  48. प्रश्न- बाल्यावस्था के कुछ प्रमुख संवेगों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्व क्या है? समझाइये |
  50. प्रश्न- नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से हैं? विस्तार पूर्वक समझाइये?
  51. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास क्या है? बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है?
  53. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  54. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें ।
  55. प्रश्न- बाल्यकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  56. प्रश्न- सामाजिक विकास की विशेषताएँ बताइये।
  57. प्रश्न- संवेगात्मक विकास क्या है?
  58. प्रश्न- संवेग की क्या विशेषताएँ होती है?
  59. प्रश्न- बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ क्या है?
  60. प्रश्न- कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धान्त की आलोचना कीजिये।
  61. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?
  62. प्रश्न- बालक के संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की विशेषताएँ क्या हैं?
  64. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  65. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  66. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
  68. प्रश्न- किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के दौरान नैतिक विकास की विवेचना कीजिए।
  70. प्रश्न- किशोरवस्था में पहचान विकास से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  72. प्रश्न- अनुशासन युवाओं के लिए क्यों आवश्यक होता है?
  73. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन-से हैं?
  75. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- आत्म विकास में भूमिका अर्जन की क्या भूमिका है?
  77. प्रश्न- स्व-विकास की कोई दो विधियाँ लिखिए।
  78. प्रश्न- किशोरावस्था में पहचान विकास क्या हैं?
  79. प्रश्न- किशोरावस्था पहचान विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय क्यों है ?
  80. प्रश्न- पहचान विकास इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
  81. प्रश्न- एक किशोर के लिए संज्ञानात्मक विकास का क्या महत्व है?
  82. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है ? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं ?
  84. प्रश्न- एक वयस्क के कैरियर उपलब्धि की प्रक्रिया और इसमें शामिल विभिन्न समायोजन को किस प्रकार व्याख्यायित किया जा सकता है?
  85. प्रश्न- जीवन शैली क्या है? एक वयस्क की जीवन शैली की विविधताओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- 'अभिभावकत्व' से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  88. प्रश्न- विविधता क्या है ?
  89. प्रश्न- स्वास्थ्य मनोविज्ञान में जीवन शैली क्या है?
  90. प्रश्न- लाइफस्टाइल साइकोलॉजी क्या है ?
  91. प्रश्न- कैरियर नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  92. प्रश्न- युवावस्था का मतलब क्या है?
  93. प्रश्न- कैरियर विकास से क्या ताप्पर्य है ?
  94. प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
  95. प्रश्न- रजोनिवृत्ति क्या है ? इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं बीमारियों के संबंध में व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान होने बाले संज्ञानात्मक विकास को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
  97. प्रश्न- मध्यावस्था से क्या तात्पर्य है ? मध्यावस्था में व्यवसायिक समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- मिडलाइफ क्राइसिस क्या है ? इसके विभिन्न लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  101. प्रश्न- मध्य वयस्कता के कारक क्या हैं ?
  102. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान कौन-सा संज्ञानात्मक विकास होता है ?
  103. प्रश्न- मध्य वयस्कता में किस भाव का सबसे अधिक ह्रास होता है ?
  104. प्रश्न- मध्यवयस्कता में व्यक्ति की बुद्धि का क्या होता है?
  105. प्रश्न- मध्य प्रौढ़ावस्था को आप किस प्रकार से परिभाषित करेंगे?
  106. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष के आधार पर दी गई अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- मध्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- क्या मध्य वयस्कता के दौरान मानसिक क्षमता कम हो जाती है ?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60) वर्ष में मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समायोजन पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
  110. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  111. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये ।
  112. प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- सेवा निवृत्ति के लिए योजना बनाना क्यों आवश्यक है ? इसके परिणामों की चर्चा कीजिए।
  114. प्रश्न- वृद्धावस्था की विशेषताएँ लिखिए।
  115. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए।
  116. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  117. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए ।
  118. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  120. प्रश्न- रक्तचाप' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- आत्म अवधारणा की विशेषताएँ क्या हैं ?
  122. प्रश्न- उत्तर प्रौढ़ावस्था के कुशल-क्षेम पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  123. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- जीवन प्रत्याशा से आप क्या समझते हैं ?
  125. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  126. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- अन्तर पीढी सम्बन्धों में तनाव के कारण बताओ।

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