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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2789
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताएँ
(Main Characteristics of Cognitive Development)

शारीरिक, मानसिक, गामक, बौद्धिक, संवेगात्मक आदि विकास की भाँति संज्ञानात्मक विकास की भी अपनी कुछ विशेषताएँ होती हैं। संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं-

(1) संज्ञानात्मक विकास के निश्चित प्रारूप होते हैं (Cognitive Development has a Definite Pattern) - संज्ञानात्मक विकास की सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण विशेषता है कि इसके एक निश्चित प्रारूप होते हैं। सभी बालकों का संज्ञानात्मक विकास एक निश्चित प्रारूप के अनुसार ही होते हैं। हाँ! उनके शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, अनुवांशिक आदि भिन्नताओं के कारण संज्ञानात्मक विकास में भी थोड़ी बहुत भिन्नता अवश्य ही देखने को मिल जाती है।
परन्तु फिर भी संज्ञानात्मक विकास एक निश्चित प्रारूप के अनुसार ही होती है जैसे—स्थूल से सूक्ष्म की ओर, अनिश्चित से निश्चित की ओर, अस्पष्टता से स्पष्टता की ओर, सामान्य से जटिल की ओर ही पाया जाता है।

(2) संज्ञानात्मक विकास स्थूल से सूक्ष्म की ओर होता है (Cognitive Development occurs from Gross to Micro ) - संज्ञानात्मक विकास की दूसरी प्रमुख विशेषता है " स्थूल से सूक्ष्म की ओर होना ।" बालक पहले स्थूल (gross) चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। तत्पश्चात् सूक्ष्म ज्ञान को ग्रहण करते हैं। जैसे—बालक पहले उन चीजों की जानकारी प्राप्त करते हैं जो मूर्त (Concrete) होती हैं जिन्हें वे देख सकते हैं, छू सकते हैं, जिनका वे स्वाद चख सकते हैं। जैसे—बालक पहले अपनी माँ को देखकर पहचानने लगता है। वह माता को देखकर हाथ-पैर पटकने लगता है और इस प्रकार का हाव-भाव का प्रदर्शन करने लगता है कि माता आए और उसे गोद में उठा ले। परन्तु जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है अब वह माँ की विभिन्न मुद्राओं (Gestures) को समझने लगता है। अब वह आसानी से यह समझ जाता है कि माँ खुश है अथवा नाराज । गुस्से में है या हँसी की मुद्रा में और फिर बालक उसके चेहरे के हाव-भाव को देखकर अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करता है। बालक पहले अपनी आवश्यकताओं की वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करता है जैसे- रबर, पेंसिल, स्कूल बैग, पेन, कलर आदि । फिर धीरे-धीरे वह किताब के चित्र को देखकर समझता है। बाद में वह उन्हें पढ़कर समझने लगता है। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास स्थूल से सूक्ष्म की ओर एवं साधारण से जटिल की ओर होता है।

3-4 वर्ष का बालक विभिन्न प्रकार के सब्जियों का नाम, फूलों का नाम, पशु-पक्षियों का नाम, फलों का नाम याद कर लेता है। 5-6 वर्ष का बालक कविताएँ याद कर लेता है। अब वह चुटकलों को भी समझने लगता है। वह पेंसिल से कुछ Drawing भी बना लेता है। तब उसके ‘Drawing' इतने स्पष्ट एवं सुन्दर नहीं होते हैं परन्तु उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसमें निखार आता है और Drawing सुन्दर बनता है।

(3) संज्ञानात्मक विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है (Cognitive Development occurs from General of Specific) - संज्ञानात्मक विकास की तीसरी महत्वपूर्ण विशेषता है " सामान्य से विशिष्ट की ओर होना ।" बालक प्रारंभ में किसी वस्तु, चीज, व्यक्ति, घटना अथवा सूचना को सामान्य रूप में देखता है। जैसे- जब बालक आकाश में झिलमिलाते तारों एवं चन्द्रमा को देखता है तो उसे बड़ा मजा आता है। ये प्राकृतिक चीजें उसे बड़ी ही लुभावनी एवं आनंददायी लगती हैं। इसी प्रकार जब वह बरसात की पहली बौछार को धरती पर गिरते देखता है तो आनंद से मग्न हो जाता है। वह इसे सामान्य घटना मानता है और इन घटनाओं से अपनी खुशी का इजहार करता है । परन्तु जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, वह इन घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहता है। वह यह समझने का प्रयास करता है कि तारे रात में ही क्यों झिलमिलाते हैं? बरसात कैसे होती है? आकाश में सतरंगी इन्द्रधनुष का निर्माण किस प्रकार से होता है आदि-आदि। अर्थात् अब वह घटनाओं को केवल सामान्य घटना नहीं समझता है बल्कि उन्हें विशिष्ट घटना समझकर उनका गहन अध्ययन करता है, उनके बारे में चिन्तन करता है, संगी-साथियों से तर्क करता है, शिक्षकों से विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछता है। जब तक बालक इन घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं कर लेते हैं तब तक ये प्रश्न उनके मन-मस्तिष्क में हिलोरें लेते रहते हैं। और वे उन्हें ढूँढने का प्रयास करते रहते हैं। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है।

(4) संज्ञानात्मक विकास में व्यक्तिगत विभिन्नताएँ पायी जाती हैं (Individual Differences are seen in Cognitive Development ) - यह सच है कि सभी बालकों का संज्ञानात्मक विकास एक जैसा, एक ही दर से, एक ही समय पर नहीं होता है, क्योंकि हरेक बालक का वंशानुक्रम भिन्न होता है। उनकी शारीरिक, मानसिक, गत्यात्मक विकास आदि में भी भिन्नता होती है। यहाँ तक कि एक ही माता के कोख में पले-बढ़े और एक ही वातावरण में पाले-पोषे गये दो जुड़वाँ बालकों के संज्ञानात्मक विकास में भी पर्याप्त भिन्नता देखी गई है। किसी बालक में स्मरण शक्ति अधिक होती है तो किसी में कल्पना शक्ति। किसी में ध्यान शक्ति तो किसी बालक में सृजन शक्ति । किसी बालक में तर्क शक्ति अधिक होती है तो किसी में वाक् एवं विश्लेषण शक्ति । अतः स्पष्ट है कि व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण ही संज्ञानात्मक विकास में भी भिन्नता पायी जाती है।

(5) संज्ञान का संचय होता है (Cognition is Cumulative ) - बालकों में संज्ञानात्मक विकास रातों-रात नहीं होता और न ही बालक एकाएक ज्ञानी एवं बुद्धिमान हो जाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे एवं क्रमानुसार होती है। बालकों में विभिन्न प्रत्यय संबंधी ज्ञान एक-एक करके मस्तिष्क में संचय होते रहते हैं। जैसे- जब बालक को लाल, पीला, हरा, नीला आदि रंगों का ज्ञान हो जाता है तभी वह आसमानी, भूरा, बैंगनी आदि रंगों के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। इसी प्रकार से वह पहले चौकोर, गोल, लम्बा, छोटा आदि प्रत्ययों के सम्बन्धों में जानकारी प्राप्त करता है । बाद में वह षट्कोण, अष्टभुजा, आयत, वर्ग आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। पुराने ज्ञान के साथ ही बालक नवीन ज्ञान को सीखते रहते हैं और ये ज्ञान उनके मस्तिष्क में संग्रह होते रहते हैं। इस प्रकार उनका ज्ञान भंडार दिन-प्रतिदिन, क्षण-प्रतिक्षण बढ़ता रहता है । परन्तु यदि बालक यह सोचते हैं कि उनके पुराने ज्ञान गलत एवं भ्रामक हैं तो वे उन्हें मस्तिष्क से निकाल देते हैं और शुद्ध, उपयोगी एवं लाभदायी ज्ञान सीखते रहते हैं।

(6) संज्ञानात्मक विकास शिक्षण एवं निर्देशन पर निर्भर करता है ( Cognitive Development depends upon Teaching and Guidance ) - सभी बालको में ज्ञान सीखने की, उन्हें अर्जित करने की प्रकृत्ति प्रदत्त क्षमता होती है। यह अलग बात है कि कुछ बालकों में यह ज्ञान क्षमता अधिक होती है तो कुछ में कम । अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि यदि बालकों को सही समय पर, समुचित शिक्षण की व्यवस्था करके उन्हें दृश्य-श्रव्य विधि से पढ़ाया लिखाया जाए तो वे जल्दी सीख जाते हैं तथा उन्हें विभिन्न वस्तुओं के सम्बन्ध में जानकारी मिल जाती है। बालक जब विद्यालय जाने लगते हैं तो उन्हें सुनियोजित पाठ्यक्रम के द्वारा, शिक्षा प्रदान कर उनकी कल्पना शक्ति, तक शक्ति, चिन्तन शक्ति, ध्यान शक्ति, स्मरण शक्ति का विकास किया जा सकता है।

भले ही कितना ही तीव्र बुद्धि का बालक क्यों न हो, जब तक उसे पढ़ाया-लिखाया नहीं जाएँ, सही शिक्षण व्यवस्था नहीं की जाए, सही दिशा-निर्देश नहीं दिये जाएँ तब तक उसका संज्ञानात्मक विकास समुचित ढंग से नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं, उसका ज्ञान भंडार सीमित हो जाता है। वह शुद्ध-शुद्ध वाक्य रचना भी नहीं कर सकता। वह पढ़ना-लिखना तक नहीं सीख सकता। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास में शिक्षण एवं निर्देशन का अमूल्य स्थान है।

(7) संज्ञानात्मक विकास तथा विकास के अन्य पहलू परस्पर अन्त: संबंधित होते हैं (Cognitive Development is Interrelated with Other Development ) - संज्ञानात्मक विकास का शारीरिक, क्रियात्मक, मानसिक, बौद्धिक, संवेगात्मक आदि विकास से गहरा नाता रिश्ता है और वे परस्पर अंत: संबंधित होते हैं। जैसे—यदि बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ है अथवा वह लम्बे समय से बीमार है तो उसका संज्ञानात्मक विकास भी देर से होगा क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। जब तन बीमार होता है तो मन स्वत: ही बीमार हो जाता है। बालक में कुछ भी करने की, कुछ भी सीखने की इच्छा व ललक नहीं होती। वह दुखी एवं खिन्न रहता है। वह क्रोधी एवं चिड़चिड़ा हो जाता है। वह संवेगात्मक रूप से दुखी व उदास रहने लगता है। फलतः उसका सामाजिक समायोजन भी गड़बड़ा जाता है।

इसी प्रकार गामक विकास (Motor) का भी संज्ञानात्मक विकास से गहरा संबंध है। जब बालक के हाथों व अंगुलियों की स्थूल एवं सूक्ष्म मांसपेशियाँ विकसित होती हैं, तभी वह लिखने, चित्रकारी करने, पेंटिंग करने जैसे ज्ञान का अर्जन एवं विकास कर सकता है। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास तथा विकास के अन्य पहलू परस्पर अंत: संबंधित होते हैं।

( 8 ) संज्ञानात्मक विकास विगत एवं वर्तमान अनुभवों का योग होता है (Cognitive Development is the Product of Past and Present Experiences ) - संज्ञानात्मक विकास में बालक द्वारा जो कुछ भी सीखा जाता है वह भूतकाल एवं वर्तमान, इन दोनों के आधार पर ही सीखा जाता है। बालक का मस्तिष्क जो कुछ भी ग्रहण करता है उसे वह पुरानी युक्ति (Old Scheme) से जोड़ता है और फिर अपनी तर्क, कल्पना, चिन्तन, स्मरण एवं विश्लेषण से नवीन युक्ति (New Scheme ) का निर्माण करता है और तब इन दोनों में समन्वय स्थापित करता है। जैसे - यदि बालक ने पूर्व में घोड़ा देखा होता है, परन्तु उसने ऊँट नहीं देखा होता है तो बालक ऊँट को देखकर झट से उसे कुबड़ वाला घोड़ा बताता है। साथ ही वह यह भी बताता है कि इस घोड़े (ऊँट) के बड़े कूबड़ और लम्बी गर्दन है । परन्तु जब उसे यह बताया जाता है कि यह घोड़ा नहीं बल्कि ऊँट है, जो रेगिस्तान में पाया जाता है और इसे रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। इसके गद्दीदार पैर होते हैं, लम्बी-गर्दन होती है तो बालक पुनः अपने चिन्तन, स्मरण, तर्कन, वर्गीकरण, विश्लेषण आदि के द्वारा इन दोनों में भेद करने लग जाता है तथा ऊँट से संबंधित नवीन ज्ञान को अर्जित करता है । अतः संज्ञानात्मक विकास विगत एवं वर्तमान अनुभवों का योग होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- विकास सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए तथा इसके मुख्य नियमों को समझाइए।
  3. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में अनुदैर्ध्य उपागम का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता व सीमायें बताइये।
  4. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में निरीक्षण विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यक्तित्व इतिहास विधि के गुण व सीमाओं को लिखिए।
  7. प्रश्न- मानव विकास में मनोविज्ञान की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  9. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ बताइये।
  10. प्रश्न- मानव विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन की व्यक्ति इतिहास विधि का वर्णन कीजिए
  12. प्रश्न- विकासात्मक अध्ययनों में वैयक्तिक अध्ययन विधि के महत्व पर प्रकाश डालिए?
  13. प्रश्न- चरित्र-लेखन विधि (Biographic method) पर प्रकाश डालिए ।
  14. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में सीक्वेंशियल उपागम की व्याख्या कीजिए ।
  15. प्रश्न- प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकासात्मक संकृत्य पर टिप्पणी लिखिये।
  16. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी है ? समझाइए ।
  17. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से है। विस्तार में समझाइए।
  18. प्रश्न- नवजात शिशु अथवा 'नियोनेट' की संवेदनशीलता का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है ? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये ।
  20. प्रश्न- क्रियात्मक विकास की विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
  21. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का अर्थ एवं बालक के जीवन में इसका महत्व बताइये ।
  22. प्रश्न- संक्षेप में बताइये क्रियात्मक विकास का जीवन में क्या महत्व है ?
  23. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से है ?
  24. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल के क्या उद्देश्य हैं ?
  26. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
  27. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
  28. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
  29. प्रश्न- प्रसवपूर्ण देखभाल बच्चे के पूर्ण अवधि तक पहुँचने के परिणाम को कैसे प्रभावित करती है ?
  30. प्रश्न- प्रसवपूर्ण जाँच के क्या लाभ हैं ?
  31. प्रश्न- विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
  32. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  33. प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
  34. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शैशवावस्था में बालक में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है?
  36. प्रश्न- शिशु के भाषा विकास की विभिन्न अवस्थाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  38. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  39. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
  40. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  41. प्रश्न- शैशवावस्था में सामाजिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
  42. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते है ?
  43. प्रश्न- सामाजिक विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ?
  44. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये ।
  45. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? समझाइये |
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को समझाइए ।
  48. प्रश्न- बाल्यावस्था के कुछ प्रमुख संवेगों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्व क्या है? समझाइये |
  50. प्रश्न- नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से हैं? विस्तार पूर्वक समझाइये?
  51. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास क्या है? बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है?
  53. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  54. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें ।
  55. प्रश्न- बाल्यकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  56. प्रश्न- सामाजिक विकास की विशेषताएँ बताइये।
  57. प्रश्न- संवेगात्मक विकास क्या है?
  58. प्रश्न- संवेग की क्या विशेषताएँ होती है?
  59. प्रश्न- बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ क्या है?
  60. प्रश्न- कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धान्त की आलोचना कीजिये।
  61. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?
  62. प्रश्न- बालक के संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की विशेषताएँ क्या हैं?
  64. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  65. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  66. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
  68. प्रश्न- किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के दौरान नैतिक विकास की विवेचना कीजिए।
  70. प्रश्न- किशोरवस्था में पहचान विकास से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  72. प्रश्न- अनुशासन युवाओं के लिए क्यों आवश्यक होता है?
  73. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन-से हैं?
  75. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- आत्म विकास में भूमिका अर्जन की क्या भूमिका है?
  77. प्रश्न- स्व-विकास की कोई दो विधियाँ लिखिए।
  78. प्रश्न- किशोरावस्था में पहचान विकास क्या हैं?
  79. प्रश्न- किशोरावस्था पहचान विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय क्यों है ?
  80. प्रश्न- पहचान विकास इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
  81. प्रश्न- एक किशोर के लिए संज्ञानात्मक विकास का क्या महत्व है?
  82. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है ? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं ?
  84. प्रश्न- एक वयस्क के कैरियर उपलब्धि की प्रक्रिया और इसमें शामिल विभिन्न समायोजन को किस प्रकार व्याख्यायित किया जा सकता है?
  85. प्रश्न- जीवन शैली क्या है? एक वयस्क की जीवन शैली की विविधताओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- 'अभिभावकत्व' से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  88. प्रश्न- विविधता क्या है ?
  89. प्रश्न- स्वास्थ्य मनोविज्ञान में जीवन शैली क्या है?
  90. प्रश्न- लाइफस्टाइल साइकोलॉजी क्या है ?
  91. प्रश्न- कैरियर नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  92. प्रश्न- युवावस्था का मतलब क्या है?
  93. प्रश्न- कैरियर विकास से क्या ताप्पर्य है ?
  94. प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
  95. प्रश्न- रजोनिवृत्ति क्या है ? इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं बीमारियों के संबंध में व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान होने बाले संज्ञानात्मक विकास को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
  97. प्रश्न- मध्यावस्था से क्या तात्पर्य है ? मध्यावस्था में व्यवसायिक समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- मिडलाइफ क्राइसिस क्या है ? इसके विभिन्न लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  101. प्रश्न- मध्य वयस्कता के कारक क्या हैं ?
  102. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान कौन-सा संज्ञानात्मक विकास होता है ?
  103. प्रश्न- मध्य वयस्कता में किस भाव का सबसे अधिक ह्रास होता है ?
  104. प्रश्न- मध्यवयस्कता में व्यक्ति की बुद्धि का क्या होता है?
  105. प्रश्न- मध्य प्रौढ़ावस्था को आप किस प्रकार से परिभाषित करेंगे?
  106. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष के आधार पर दी गई अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- मध्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- क्या मध्य वयस्कता के दौरान मानसिक क्षमता कम हो जाती है ?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60) वर्ष में मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समायोजन पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
  110. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  111. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये ।
  112. प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- सेवा निवृत्ति के लिए योजना बनाना क्यों आवश्यक है ? इसके परिणामों की चर्चा कीजिए।
  114. प्रश्न- वृद्धावस्था की विशेषताएँ लिखिए।
  115. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए।
  116. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  117. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए ।
  118. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  120. प्रश्न- रक्तचाप' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- आत्म अवधारणा की विशेषताएँ क्या हैं ?
  122. प्रश्न- उत्तर प्रौढ़ावस्था के कुशल-क्षेम पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  123. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- जीवन प्रत्याशा से आप क्या समझते हैं ?
  125. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  126. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- अन्तर पीढी सम्बन्धों में तनाव के कारण बताओ।

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