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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2790
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 1

सकारात्मक मनोविज्ञान: मान्यतायें एवं
लक्ष्य, पूर्वी एवं पश्चिमी दृष्टिकोण

(Positive Psychology : Assumptions and
Goals, Eastern and Western Perspective)

प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसके लक्ष्य एवं मान्यतायें / धारणायें बताइये।

उत्तर -

प्रस्तावना - मार्टिन सैलिग मैन (Martin Seligman) को प्रथम मनोवैज्ञानिक माना जा सकता है जिन्होंने सकारात्मक मनोविज्ञान की नींव रखी। सन् 1998 में अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ (American Psychology Association) (APA) के अध्यक्षीय उद्बोधन में सैलिगमैन ने मनोविज्ञान में प्रमुख बदलाव की अपील की। इन्होंने कहा कि हमें मानव व्यवहार में जो कमजोरियाँ हैं, उनका अध्ययन करने की बजाय मानव व्यवहार के सर्वाधिक उचित पक्ष एवं अच्छाइयों के अध्ययन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। और मनोविज्ञान में खुशी एवं 'साहस' जैसे मुद्दों के अध्ययन को शामिल करने पर बल दिया। सैलिगमैन का मानना था कि सकारात्मक मनोविज्ञान के अध्ययन से मनोविज्ञान का क्षेत्र और अधिक व्यापक होगा एवं रुग्णता मॉडल से परे स्वस्थ मानव की कार्यशीलता की समझ को बढ़ावा मिलेगा।

सकारात्मक मनोविज्ञान का अर्थ (Meaning of Positive Psychology) - सकारात्मक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का एक अपेक्षाकृत नया उपक्षेत्र है जो मानवीय शक्तियों और उन चीजों पर ध्यान केन्द्रित करता है जो जीवन को जीने लायक बनाती हैं। यह सकारात्मक व्यक्तिपरक अनुभव, सकारात्मक व्यक्तिगत लक्षण और सकारात्मक संस्थानों का अध्ययन करता है।

सकारात्मक विचारधारा का सम्बन्ध यूडेमोनिया से है जो एक ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है 'अच्छी आत्मा'। इसे खुशी और अच्छे जीवन की खोज के लिए आवश्यक तत्व माना जाता है। यह उस चीज को सजोने पर जोर देता है जो जीवन में सबसे बड़ा मूल्य रखता है और अन्य ऐसे कारक जो एक अच्छे जीवन को संजोने पर सबसे अधिक योगदान देते हैं।

सकारात्मक मनोविज्ञान की परिभाषायें (Definitions of Positive Psychology) - सालिगमैन एवं चिकस्जेण्टमिहालई (Saligman & Csikszentmihalyi 2000) के अनुसार "सकारात्मक मनोविज्ञान मानव कार्यशीलता का वैज्ञानिक अध्ययन है। जिसे विविध स्तर पर पल्लवित एवं समृद्ध किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत जीवन के सम्पूर्ण आयाम जैसे - जैविक, व्यक्तिगत, सम्बन्ध परक संस्थागत सांस्कृतिक इत्यादि सम्मिलित हैं।"

शैल्डन एवं किंग (Sheldon and King, 2001) के अनुसार - "सकारात्मक मनोविज्ञान को 'सामान्य मानव शक्तियों एवं सद्गुणों का वैज्ञानिक अध्ययन से अधिक कुछ नहीं है।'

पीटरसन (Peterson, 2008) के अनुसार - "सकारात्मक मनोविज्ञान जीवन को सर्वाधिक अच्छे ढंग से खुशनुमा, जीने योग्य किस प्रकार बनाया जा सकता है' का वैज्ञानिक अध्ययन है।

"सकारात्मक मनोविज्ञान के लक्ष्य एवं मान्यतायें (Goals & Assumptions of Positive Psychology) - सकारात्मक मनोविज्ञान मनोविज्ञान की एक आधुनिक शाखा है जिसका उद्देश्य प्रतिभा को खोजना और विकसित करना तथा सामान्य जीवन को और अधिक सन्तोषजनक बनाना है, न कि केवल मानसिक परिवर्तनों के साथ काम करना।

व्यापक शब्दों में सकारात्मक मनोविज्ञान प्रकृति को परखते हुए अधिकतम सक्रियता (Optimal Psychological Funtioning) के अन्वेषण पर ध्यान आकर्षित करता है। इससे जुड़ी प्रसन्नता एवं कल्याण की भावना को स्थापित करता है और गुणों एवं चारित्रिक सामर्थों को सिद्धान्त में व्यवस्थित करें इनका आकलन करता है।

सकारात्मक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के ज्ञान-विज्ञान की शाखा का एक सामान्य उपागम है एवं मानव व्यवहार के सकारात्मक पहलुओं पर केन्द्रित विषयों का संग्रह है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि सकारात्मक मनोविज्ञान में उपलब्ध साहित्य के आधार पर हम अनेक सामान्य विषयों को अध्ययन हेतु स्वीकार कर सकते हैं। सकारात्मक मनोविज्ञान की एक प्रमुख मान्यता है कि मनोविज्ञान का क्षेत्र असंतुलित है (साइमनटन एवं बाउमीस्टर 2005)। सकारात्मक मनोविज्ञान का प्रमुख लक्ष्य मनोविज्ञान के विभिन्न अध्ययन विषयों के मध्य सन्तुलन स्थापित करना है इसका प्रभाव शोध एवं सिद्धान्त दोनों ही क्षेत्रों में दृष्टिगोचर होता है जहाँ पर पुनः विकास की आवश्यकता है।

सकारात्मक मनोविज्ञान के लक्ष्य एवं मान्यतायें या धारणायें निम्नवत् हैं-

(1) सकारात्मक मानव व्यवहार की समझ में सुधार की आवश्कता (Need for Improvement in the Understanding of Positive Human Behaviour) - शैल्डन एवं किंग (2001) के अनुसार शोध एवं सिद्धान्तों की मुख्य धारा में नकारात्मक पक्ष पर अधिक बल दिया जा रहा है। इसे सन्तुलित करने के लिए सकारात्मक मानव व्यवहार की समझ में सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए मनोवैज्ञानिकों के लिए आवश्यक होगा कि सकारात्मक मनोविज्ञान की विषयवस्तु के वैज्ञानिक स्वरूप के बारे में अपने सन्देहों पर नियन्त्रण रखें।

(2) मानव व्यवहार को समझने के लिए अनुभवजन्य संप्रत्ययात्मक समझ विकसित होने की आवश्यकता है (Need to develop an empirically based conceptual understanding of human behaviour) - इसकी मान्यता या आवश्यकता अनुभव आधारित सम्प्रत्ययों को समझने के सम्बन्ध में है जिसके माध्यम से स्वस्थ मानव कार्यशीलता का वर्णन किया जा सके। साथ ही मानसिक विकारों के वर्गीकरण को समझा जा सके (मीज 2003) (रीफ एवं सिंगर (1998) ने अपने अध्ययन के आधार पर बताया कि हम यदि स्वस्थ्य जीवन शैली के उन्नयन द्वारा मानसिक बीमारियों के रोकथाम में रुचि रखते हैं तब हमें स्वास्थ्य के स्रोतों के साथ-साथ मानसिक बीमारियों के कारणों पर भी उतना ही ध्यान देना होगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसके लक्ष्य एवं मान्यतायें / धारणायें बताइये।
  2. प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान की प्राच्य (पूर्वी) एवं पाश्चात्य (पश्चिमी) दृष्टिकोण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
  3. प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान पूर्वी एवं पश्चिमी विचारधाराओं का संगम है। वर्णन कीजिए / प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान का अध्ययन नकारात्मक पर अधिक केन्द्रित है। स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- रुग्णता प्रारूप से आप क्या समझते हैं?
  6. प्रश्न- अच्छे जीवन के लिए सकारात्मक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  7. प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का विरोधी नहीं है। स्पष्ट कीजिये।
  8. प्रश्न- सैलिंगमैन द्वारा प्रतिपादित प्रसन्नता के तीन स्तम्भों की चर्चा कीजिये।
  9. प्रश्न- ज्ञानोदय युग विज्ञान का युग है, समझाइये।
  10. प्रश्न- कन्फ्यूशियनिज्म विचारधाराओं ने शिक्षाओं में नैतिक अस्तित्व के कौन- से सद्गुण बताये हैं? चर्चा कीजिए।
  11. प्रश्न- ताओ क्या है? ताओइज्म दर्शन के मुख्य लक्ष्य की विवेचना कीजिये।
  12. प्रश्न- हिन्दूवाद अन्य विचारधाराओं यानि कन्फूशियन, ताओइज्म एवं बौद्ध दर्शन से किन बिन्दुओं पर अपना अलग अस्तित्व रखता है? प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- पूर्वी दर्शन के परिप्रेक्ष्य में सौहार्द्रता को किस प्रकार वर्णित किया गया है? समझाइये।
  14. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति पर एक लेख लिखिये।
  15. प्रश्न- सकारात्मक मनोविज्ञान में सकारात्मक संवेगों की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- ब्रॉडन- एण्ड विल्ड (व्यापक / विस्तार व निर्मितीकरण) थ्योरी से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- महात्मा बुद्ध ने (बौद्धवाद) सचेतता (दिमागीपन) को किस रूप में परिभाषित किया है?
  18. प्रश्न- भावदशा और संवेग के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  19. प्रश्न- संवेगों की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  20. प्रश्न- ब्रॉडन एण्ड बिल्ड सिद्धान्त के बारे में संक्षेप में लिखिए।
  21. प्रश्न- सचेतन की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
  22. प्रश्न- सचेतता पल दर पल अन्वेषण है, समझाइये।
  23. प्रश्न- महात्मा बुद्ध के अष्टांगी मार्ग को स्पष्ट कीजिये।
  24. प्रश्न- सचेतता (दिमागीपन) या माइंडफुलनेस के गुणों पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- सकारात्मक संवेगों पर शोध के क्षेत्र में अग्रणी व्यक्ति कौन है? चर्चा कीजिये।
  26. प्रश्न- कर्षण (Valence) क्या है?
  27. प्रश्न- सकारात्मक संवेग अधिक संज्ञानात्मक प्रतिक्रियायें प्राप्त करते हैं। स्पष्ट कीजिये।
  28. प्रश्न- सकारात्मक संवेग किस प्रकार नकारात्मक संवेगों को पूर्ववत् करते हैं या खत्म करते हैं?
  29. प्रश्न- आध्यात्मिकता क्या है? परिभाषित कीजिये।
  30. प्रश्न- आध्यात्मिकता के लाभ बताइये।
  31. प्रश्न- जीवन संवर्धन रणनीतियों पर टिप्पणी लिखिये।
  32. प्रश्न- सकारात्मक संज्ञानात्मक अवस्थाएँ क्या हैं? मन की स्थिति को उदाहरण सहित समझाइये।
  33. प्रश्न- उम्मीद को लक्ष्य निर्देशित चिन्तन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। समझाइये।
  34. प्रश्न- क्या उम्मीद का मापन सम्भव है? किसी दो मापनियों की चर्चा कीजिये।
  35. प्रश्न- सामूहिक उम्मीद पर टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- तात्कालिक भविष्य के सन्दर्भ में उम्मीद की प्रासंगिकता समझाइये।
  37. प्रश्न- 'उम्मीद' के क्या लाभ हैं? बताइये।
  38. प्रश्न- क्या उम्मीद रखना महत्त्वपूर्ण है? स्पष्ट कीजिये।
  39. प्रश्न- सैलिगमैन के अनुसार "आशावादी घटनाओं की व्याख्या अनुकूलित कारणात्मक गुणारोपण के आधार पर करता है।"समझाइये।
  40. प्रश्न- अर्जित आशावाद के बाल्यकालीन पूर्ववर्ती कारकों की चर्चा कीजिये।
  41. प्रश्न- क्या आशावाद का मापन सम्भव है? टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- प्रवृत्यात्मक आशावाद क्या है? इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति प्रत्याशा के संदर्भ में आशावाद को समझाइये।
  43. प्रश्न- आशावाद के आधार पर किन क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है? समझाइये।
  44. प्रश्न- स्वप्रभावोत्पादकता / आत्मप्रभावकारिता से क्या तात्पर्य है?
  45. प्रश्न- स्वप्रभावोत्पादकता के सन्दर्भ में सामाजिक संज्ञानात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- क्या स्वप्रभावोत्पादकता / आत्म प्रभावकारिता को मापा जा सकता है? यदि हाँ तो कुछ प्रमुख मापनियों की चर्चा कीजिये।
  47. प्रश्न- स्वप्रभावोत्पादकता का तंत्रिका जीव विज्ञान क्या है?
  48. प्रश्न- आत्म- प्रभावकारिता या स्वप्रभावोत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- आत्म प्रभावकारिता / स्वप्रभावोत्पादकता के स्त्रोतों पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- लचीलापन या प्रतिस्कंदनता की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
  51. प्रश्न- प्रतिस्कंदनता/लचीलापन को परिभाषित कीजिये। इसके विकासात्मक दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
  52. प्रश्न- कृतज्ञता को परिभाषित कीजिये।
  53. प्रश्न- कृतज्ञता के मापन पर अपने विचार व्यक्त कीजिये।
  54. प्रश्न- कृतज्ञता के वर्द्धन में सहायक विभिन्न रणनीतियों का वर्णन कीजिये।
  55. प्रश्न- कृतज्ञता के लाभ बताइये।
  56. प्रश्न- क्षमाशीलता क्या है? क्षमाशीलता के सम्प्रत्यय को समझाइये।
  57. प्रश्न- क्षमाशीलता को मापने वाले किन्हीं दो परीक्षणों की चर्चा कीजिये।
  58. प्रश्न- क्षमाशीलता का विकास/वर्द्धन किस प्रकार सम्भव है? उल्लेख कीजिये।
  59. प्रश्न- क्षमाशीलता का स्नायु जैविक आधार क्या है? समझाइये।
  60. प्रश्न- परिस्थितियों के प्रति क्षमाशीलता पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- एवरैट् वथिंगटन के मॉडल रीच (Reach) की चर्चा कीजिये।
  62. प्रश्न- सहानुभूति को परिभाषित करते हुए इसके प्रकार बताइये।
  63. प्रश्न- परानुभूति-अभिप्रेरक एवं परानुभूति परोपकारिता परिकल्पना को विस्तार से समझाइये।
  64. प्रश्न- परानुभूति का स्नायुजैविक आधार क्या है? समझाइये।
  65. प्रश्न- परानुभूति का वर्द्धन। विकास किस प्रकार सम्भव है? उल्लेख कीजिये।
  66. प्रश्न- परानुभूति क्या है?
  67. प्रश्न- पनाज (PANAS) अनुसूची के बारे में समझाइये।
  68. प्रश्न- करुणा क्या है?
  69. प्रश्न- करुणा विकसित करने की रणनीतियों का वर्णन कीजिये।
  70. प्रश्न- करुणा की एरिक कैसेल द्वारा बताई गई आवश्यकतायें बताइये।
  71. प्रश्न- बौद्ध धर्म शिक्षा में करुणा क्या है?
  72. प्रश्न- परानुभूति एवं क्षमाशीलता एक अग्रगामी स्थिति है, स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- खुशी के वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- प्रसन्नता का हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  75. प्रश्न- सीखने में प्रसन्नता के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- आत्म जागरुकता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा इसके विकासात्मक चरणों की व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- शैशव तथा किशोर बालकों में आत्म जागरूकता के विकास से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- आत्म जागरूकता का क्या महत्त्व है? स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- आत्म जागरूकता से होने वाले लाभ बताइये।
  80. प्रश्न- आत्म-जागरूकता को कैसे बढ़ाया जा सकता है?
  81. प्रश्न- स्व या आत्मन की भारतीय एवं पश्चिमी अवधारणा में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- आत्म जागरूकता के विभिन्न आयाम क्या हैं स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- आत्म जागरूकता का 'जोहरी विंडो मॉडल' को समझाइये।
  84. प्रश्न- परामर्शदाता के लिए आत्म जागरूकता के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए?
  85. प्रश्न- आत्मगत कल्याण के कौन-कौन से घटक हैं?
  86. प्रश्न- जीवन संतुष्टि एवं प्रभाव संतुलन को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- आत्मगत खैरियत "सेट प्वांइट सिद्धान्त"की व्याख्या कीजिए।
  88. प्रश्न- आत्मगत खैरियत / कल्याण के गतिशील संतुलन मॉडल से आप क्या समझते हैं?
  89. प्रश्न- व्यक्तिगत कल्याण पर सामाजिक प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- आत्मगत कल्याण पर सोशल मीडिया तथा परिवार के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- आत्मगत खैरियत तथा आर्थिक स्थिति के बीच क्या सम्बन्ध है? स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- व्यक्तिपरक कल्याण का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
  93. प्रश्न- प्रतिबद्धता एवं आत्मविश्वास को परिभाषित कीजिए।
  94. प्रश्न- आत्मसंयम की असफलता के कारणों की चर्चा कीजिए।
  95. प्रश्न- व्यक्तिगत जिम्मेदारी का त्रिकोणीय मॉडल समझाइये।
  96. प्रश्न- परिहार लक्ष्य (Avoidance Goals) क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- लक्ष्य र्निलिप्तता (Goal Disengagement) पर टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सामाजिक क्षमता से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न दृष्टिकोणों का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- वह कौन-कौन से कारक हैं जो सामाजिक क्षमता के विकास में योगदान करते हैं?
  100. प्रश्न- व्यवहार विश्लेषणात्मक मॉडल से आप क्या समझते हैं?
  101. प्रश्न- सामाजिक सूचना प्रसंस्करण मॉडल से आप क्या समझते हैं?
  102. प्रश्न- सामाजिक क्षमता को समझने का त्रिघटक मॉडल क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- सामाजिक क्षमता के चतुर्भुज मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  104. प्रश्न- सामाजिक समर्थन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- सामाजिक समर्थन के कार्य लिखिए।
  106. प्रश्न- स्पष्ट कीजिए कि सामाजिक समर्थन और अपनापन एक बुनियादी जरूरत है।
  107. प्रश्न- हैली हार्ले के ऐतिहासिक बंदर अध्ययन की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- सामाजिक सम्बन्धों में तृप्ति तथा प्रतिस्थापन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- सार्थक जीवन के लिए रिश्तों का क्या महत्त्व है? स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- नैतिक अहंभाव के अर्थ को स्पष्ट करते हुए नैतिक अहंभाव के लाभ लिखिए।
  111. प्रश्न- बोएलर के अनुसार सामाजिक क्षमता को नुकसान पहुँचाने वाले कारण लिखिए।
  112. प्रश्न- प्रसन्नता के सुखवादी दृष्टिकोण से आप क्या समझते हैं?
  113. प्रश्न- प्रसन्नता के परमानन्द दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- प्रसन्नता की 21वीं सदी की अवधारणाओं को स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रसन्नता के नवीन प्रारूप की व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- प्रसन्नता के प्रमुख सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  117. प्रश्न- वास्तविक / प्रामाणिक प्रसन्नता क्या है? परिभाषित कीजिए।
  118. प्रश्न- खुशी और जीवन संतुष्टि में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए !
  119. प्रश्न- प्रसन्नता के आनुवांशिक प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  120. प्रश्न- मानव जीवन में प्रसन्नता को बढ़ाने के उपाय लिखिये।
  121. प्रश्न- प्रसन्न जीवन के लिए डेविड मायर्स के सुझाव लिखिए।
  122. प्रश्न- जीवन संवर्धन की रणनीतियों की चर्चा करें?
  123. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक खैरियत से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न घटकों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  124. प्रश्न- सामाजिक खैरियत का क्या अर्थ है? सामाजिक खैरियत के विभिन्न आयाम बताइये।
  125. प्रश्न- स्पष्ट कीजिए कि आत्म खैरियत प्रसन्नता का ही पर्याय है।
  126. प्रश्न- आत्मगत खैरियत के निर्धारक तत्व कौन-कौन से हैं?
  127. प्रश्न- सांवेगिक खैरियत के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- सांवेगिक खैरियत के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं?

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