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वाणिज्य शिक्षण

रामपाल सिंह

पृथ्वी सिंह

प्रकाशक : अग्रवाल पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2532
आईएसबीएन :9788189994303

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बी.एड.-1 वाणिज्य शिक्षण हेतु पाठ्य पुस्तक


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उपयुक्त
वाणिज्य-विषय के छात्र
(STUDENTS OF COMMERCE)

वाणिज्य विषय का सफल शिक्षण जितना महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक है उतना ही, और यदि कहा जाय कि उससे भी अधिक, महत्त्वपूर्ण है वाणिज्य विषय के अध्यापन के लिए उचित तथा उपयुक्त छात्रों का चुनाव । वाणिज्य शिक्षक के लिये यह उचित तथा आवश्यक है कि वह वाणिज्य विषय का अध्ययन करने के लिए बड़ी सावधानी के साथ छात्रों का चयन करे । वाणिज्य एक तकनीकी तथा विशिष्ट प्रकार का विषय है इसमें सफलता के लिए छात्र में कुछ विशिष्ट योग्यताओं का होना आवश्यक है। यदि वाणिज्य विषय का अध्ययन कराने के लिए ऐसे छात्रों का चुनाव कर लिया जाता है जिनमें अवांछित योग्यताओं तथा क्षमताओं का अभाव है तो वह छात्र वाणिज्य विषय में कभी भी उन्नति नहीं कर सकता है। वाणिज्य विषय के अध्ययन के लिए वांछित योग्यताओं तथा क्षमताओं से रहित बालक यदि वाणिज्य विषय का चुनाव अपने अध्ययन के लिये कर लेता है तो वह सदैव एक समस्या के रूप में कक्षा में कार्य करता है, उसका समायोजन शिक्षक, शिक्षण तथा कक्षा एवं विषय के साथ नहीं हो सकता है। इस प्रकार के बालक समस्या बालक बन सकते हैं। उनमें अच्छी बौद्धिक योग्यता होते हुए भी वे पर्याप्त शैक्षिक प्रगति नहीं कर सकते हैं, वे पिछड़े बालक बन जाते हैं। आज हम सब व्यक्तिगत विभिन्नताओं के सिद्धान्त को स्वीकार करते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक बालक शारीरिक तथा मानसिक रूप से एक-दूसरे से पृथक होता है। यदि हम केवल मानसिक योग्यताओं तथा क्षमताओं की बात ही करें तो कह सकते हैं कि प्रत्येक बालक में सामान्य बुद्धि (General Intelligence) तथा विशिष्ट योग्यताओं (Specific Abilities) की मात्रा तथा संख्या पृथक-पृथंक होती है। एक प्रतिभावान छात्र भाषा एवं कला में प्रवीण हो सकता है उसके लिए यह आवश्यक नहीं कि वह वाणिज्य का भी सफल छात्र हो। अतः आवश्यकता इस बात की है कि सर्वप्रथम छात्र की मानसिक योग्यताओं तथा क्षमताओं का पता लगाया जाय फिर उनके आधार पर ही छात्रों का समुचित चयन वाणिज्य विषयों का अध्ययन करने के लिये किया जाना चाहिए। यदि व्यक्तिगत विभिन्नताओं को ध्यान में रखकर वाणिज्य विषय के अध्ययन के लिए उचित छात्रों का चयन किया जाता है तो ऐसे चयनित छात्र वाणिज्य विषयों में आशातीत उन्नति कर सकेंगे, ऐसा सुनिश्चित है। वाणिज्य के अध्ययन के लिए ऐसे  छात्रों का चयन करने से अनेक प्रकार की समस्याओं का उदय ही नहीं होता है। इस प्रकार के छात्र समाज तथा राष्ट्र के उपयोगी नागरिक बनते हैं।

व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार वाणिज्य विषय के अध्ययन के लिए छात्रों का चयन कैसे किया जाय, इसके लिए अध्यापक को शैक्षिक निर्देशन (Educational guidance) की सेवाओं की आवश्यकता होती है। शैक्षिक-निर्देशन क्या है? इसके अनुसार उचित छात्रों का चुनाव कैसे किया जाता है, आदि तथ्यों का परिचय निम्न रूप में दिया गया है-

1. शैक्षिक निर्देशन (EducationalGuidance) वाणिज्य विषय के लिए छात्रों का चुनाव करने के लिए छात्रों को शैक्षिक निर्देशन प्रदान करना चाहिए। शैक्षिक निर्देशन से संक्षेप में तात्पर्य है छात्रों को उनकी योग्यताओं का ज्ञान इस प्रकार कराना जिससे वे अपनी शिक्षण सम्बन्धी निर्णय स्वयं अपने आपले सकें। इस संक्षिप्त एवं सरल परिभाषा की व्याख्या के रूप में कहा जा सकता है कि यदि छात्रों को यह ज्ञात हो कि उनमें कौन-कौन सी तथा किस मात्रा में मानसिक योग्यतायें हैं और साथ ही उसे यह भी ज्ञान हो कि किसी शैक्षिक कार्यक्रम के लिए कौन-कौन सी तथा कितनी मात्रा में विभिन्न मानसिक योग्यताओं का होना आवश्यक है। इन दो पक्षों के  ज्ञान के प्रकाश में वह यह निर्णय स्वयं ले लेने की योग्यता रखेगा कि उसे किस प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने की ओर अग्रसर होना चाहिए।

शैक्षिक निर्देशन की सहायता से हम बालक की विभिन्न मानसिक योग्यताओं तथा क्षमताओं का पता लगा सकते हैं। बालक को विभिन्न मानसिक योग्यताओं तथा क्षमताओं का पता लगाने के लिए शिक्षक किसी अच्छे बुद्धि-परीक्षण, रुचि-परीक्षण, अभिरुचि परीक्षा तथा निष्पत्ति-परीक्षण आदि का प्रयोग कर सकता है।

(1) बुद्धि-परीक्षण-वाणिज्य विषय के अध्ययन के लिए छात्रों का चयन करते समय सबसे पहले शिक्षक को छात्र की बुद्धि-परीक्षा लेकर यह पता लगा लेना चाहिए कि छात्र का बौद्धिक स्तर क्या है। वाणिज्य की शिक्षा-ग्रहण करने के लिए ऐसे छात्रों का चयन किया जाय जिनका बौद्धिक स्तर पर्याप्त अच्छा हो क्योंकि मानसिक स्तर से दुर्बल छात्र वाणिज्य विषय का अध्ययन सरलत्मपूर्वक नहीं कर सकता है। वाणिज्य विषय एक तकनीकी तथा विशिष्ट विषय है। इसमें न केवल संख्यायें, अंक तथा गणित ही हैं अपितु उनका बौद्धिक प्रयोग भी है। इस कार्य के लिए उच्च बौद्धिक स्तर की आवश्यकता होती है।

(2) रुचि-परीक्षण-वाणिज्य-शिक्षण के अध्ययन के लिए छात्रों का चुनाव करते समय छात्रों की रुचियों का भी पता लगाना चाहिए। जिन छात्रों का वाणिज्य विषय के लिए चुनाव किया जाय उनमें वाणिज्य विषय के प्रति रुचि भी होनी चाहिये। यदि छात्रों में वाणिज्य-विषय के प्रति रुचि का अभाव है तो वह छात्र कभी भी वाणिज्य-विषयों में अच्छी निष्पत्ति प्रदर्शित नहीं कर सकता है। इसलिए वाणिज्य विषय का चयन करते समय यह भी पता लगाना उपयोगी है कि बालक में वाणिज्य विषयों के प्रति रुचि है अथवा नहीं। बालक में वाणिज्य विषयों के प्रति रुचि का पता लगाने के लिए शिक्षक किसी रुचि-मापनी का प्रयोग कर सकता है अन्यथा वह अपनी स्वयं की भी रुचि-मापनी - निर्मित कर सकता है। सफल अध्यापक यदि इस दिशा में अधिक न कर पाये तो एक संक्षिप्त साक्षात्कार के द्वारा भी बालक की रुचि का पता लगा सकते हैं।

(3) अभिरुचि-परीक्षण-वाणिज्य विषय के लिए बालकों का चयन करते समय उनकी वाणिज्य विषयों में अभिरुचि का पता लगाना बड़ा ही उपयोगी एवं आवश्यक है क्योंकि अभिरुचि भावी सफलताओं की संभावनाओं की ओर इशारा करती है। यदि बालक में वाणिज्य विषय के प्रति अभिरुचि है तो इसका तत्पर्य है कि यह सम्भावना प्रबल है कि वह बालक वाणिज्य विषयों में अच्छी उपलब्धियाँ प्राप्त कर सकेगा। बालक की अभिरुचि पर ही उसकी वाणिज्य विषयों में संभावित भावी प्रगति निर्भर करती है। अतः वाणिज्य विषयों के लिए छात्रों का चयन करते समय बालक की अभिरुचियों का भी शिक्षक को पता लगाना चाहिए। इस कार्य के लिए शिक्षक किसी भी अच्छी एवं उपयुक्त अभिरुचि मापनी का प्रयोग कर सकता है।

(4) निष्पत्ति-परीक्षण-वाणिज्य विषयों के लिए छात्रों का चयन करते समय छात्रों की गत शैक्षिक निष्पत्तियों (Achievements) का तथा वर्तमान शैक्षिक स्तर का भी पता लगाना चाहिए। यदि बालक की गत निष्पत्तियों तथा वर्तमान शैक्षिक स्तर औसत से अच्छा है तभी उसे अध्ययन के लिए वाणिज्य विषय देने चाहिये। क्योंकि वाणिज्य-विषय एक ऐसा विषय है जिसका हर छात्र सफलतापूर्वक अध्ययन नहीं कर सकता है। वाणिज्य-विषय के अध्ययन के लिये बालक को कड़ा परिश्रम करना पड़ता है, इसको पर्याप्त अभ्यास तथा सूझ-बूझ की भी आवश्यकता होती है। छात्र की गत निष्पत्तियों का ज्ञान अध्यापक छात्र की पिछली कक्षाओं के प्रगति-प्रत्रकों (Progress Report) से सहज ही कर सकता है तथा वर्तमान शैक्षिक स्तर का पता लगाने के लिए किसी अच्छे निष्पत्ति परीक्षण (Achievement Test) का प्रयोग कर सकता है। आवश्यक होने पर वह अपना स्वयं का निष्पत्ति परीक्षण भी निर्मित कर सकता है।

वाणिज्य-विषय के लिये छात्रों का चयन करने के लिये उक्त तथ्यों के अलावा कुछ अन्य सामान्य तयों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इस प्रकार के कुछ सामान्य तथ्य निम्नांकित हैं-

(1) सामान्य सूचनायें-वाणिज्य-विषयों के लिये छात्रों का चयन करते समय छात्रों के सम्बन्ध में कुछ उपयोगी सामान्य सूचनायें भी एकत्रित करनी चाहिये। इस प्रकार की सामान्य सूचनाएँ आवश्यकता पड़ने पर बड़ी उपयोगी साबित होती हैं। इस प्रकार की सूचनाओं में छात्र का नाम, उसके माता-पिता का नाम, उनकी शैक्षिक योग्यता, उनका व्यवसाय, पता, आयु तथा आय, भाई तथा बहिन, निवास की परिस्थितियाँ आदि को सम्मिलित किया जा सकता है।

(2) शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य-वाणिज्य-विषयों के लिये छात्रों का चयन करते समय छात्रों के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का भी अध्ययन चयनकर्ताओं को करना चाहिये। शैक्षिक स्तर पर बालक के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का उल्लेखनीय एवं स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। वाणिज्य-विषयों के अध्ययन के लिये ऐसे छात्रों का चयन किया जाय जिनका शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य अच्छा तथा सन्तुलित हो।

(3) भावी योजनायें तथा आकांक्षायें-वाणिज्य-विषय लेने वाले छात्र की भावी योजनायें तथा आकांक्षाएँ क्या हैं इस बात का भी शिक्षक को पता करना चाहिये क्योंकि भावी योजनाओं तथा आकांक्षाओं का छात्र की उपलब्धियों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए जो छात्र भविष्य में लिपिक बनना चाहता है वह अधिक परिश्रम नहीं करना चाहेगा जबकि वह बालक जो सी० ए० बनना चाहता है वह निश्चित रूप से अधिक परिश्रम करेगा। निश्चित रूप से उसकी शैक्षिक निष्पत्तियाँ अच्छी रहेंगी। अतः छात्रों का चयन करते समय उसकी आकांक्षाओं तथा भावी योजनाओं का भी पता लगाना चाहिए और सामान्यतः उन्हीं छात्रों को प्रवेश देना चाहिये जिनकी भावी योजनाएँ तथा आकांक्षाएँ ऊँची हों।

उक्त तथ्यों के आधार पर यदि छात्रों का चयन किया जाय तो निश्चित रूप से वाणिज्य-विषयों के लिए ऐसे छात्र आयेंगे जो भविष्य में अच्छी निष्पत्ति प्राप्त कर सकते हैं तथा एक सफल वाणिज्यिक बन सकते हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इन सभी तथ्यों में बुद्धि तथा अभिरुचि सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। अतः अध्यापक को कम-से-कम इन तत्त्वों का विचार तो अवश्य ही करना चाहिये।

अभ्यास-प्रश्न

निबन्धात्मक प्रश्न
1. वाणिज्य विषय के छात्रों के लिये आवश्यक गुणों का उल्लेख कीजिये।
2. किसी छात्र में वाणिज्य विषय का अध्ययन करने के आवश्यक गुण हैं ? यदि हाँ, उनका यथाभाव किस प्रकार किया जायेंगे।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न
1. शैक्षिक निर्देशन क्या है?

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. वाणिज्य विषय के लिए छात्रों का चुनाव करने के लिए छात्रों को प्रदान करना चाहिए।
2. बालक की "  " पर ही उसकी वाणिज्य विषयों में सम्भावित भावी प्रगति निर्भर करती है।

उत्तर-1. शैक्षिक निर्देशन। 2. अभिरुचि

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