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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- समुदाय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।

अथवा
विद्यालय और समुदाय की अन्योन्याश्रिता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

समुदाय किसी भी शैक्षिक संस्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समुदाय बालक के व्यवहार में सामाजिकता एवं सहजीवन भावनाओं द्वारा संशोधन अथवा परिवर्तन लाता है। शिक्षक, माता-पिता एवं विद्यार्थी इस बात से सहमत हैं कि बालक की शिक्षा एवं विकास में समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण है, क्योंकि विद्यार्थियों की व्यक्तिगत उपलब्धियों तथा विद्यालय की सफलता में इसका योगदान निर्णायक होता है।

विद्यालय एवं समुदाय की अन्योन्याश्रिता

विद्यालय एवं समुदाय की आपसी निर्भरता का वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है -

विद्यालय की समुदाय पर निर्भरता- विद्यालय शिक्षा को एक सफल प्रयास बनाने के लिए विद्यालय को समुदाय से निम्नलिखित की आवश्यकता रहती है -

  1. लोकनीति, सांस्कृतिक एवं सामाजिक प्रेरणाएं।
  2. स्थानीय शैक्षिक एवं सामाजिक आवश्यकताएं।
  3. समुदाय की पूर्ण जनसंख्या।
  4. विशिष्ट आवश्यकताओं के बालकों की संख्या।
  5. सामुदायिक आय एवं वृद्धि के साधन।
  6. शिक्षा के प्रति समुदाय की पहचान।
  7. समुदाय में कार्य कर रही स्वयं-सेवी संस्थाएं।
  8. समावेशी शिक्षा हेतु शिक्षकों के प्रशिक्षण संस्थानों का प्रावधान आदि।

समुदाय की विद्यालयों पर निर्भरता- समुदाय को स्कूलों से निम्नलिखित की अपेक्षा होती है -

  1. विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या।
  2. बालक की शैक्षिक प्रगति सम्बन्धी सूचनाएं।
  3. बालकों की समस्याओं के प्रमुख क्षेत्र।
  4. बालकों की शिक्षा में माता-पिता की भूमिका।
  5. विद्यालय के वातावरण सम्बन्धी सूचनाएं।
  6. शिक्षण हेतु उपलब्ध विविध सूचनाएं।
  7. समाज के लिए आवश्यक उपकरण तथा सामग्री का आयोजन।

सामुदायिक संस्थाओं के सदस्य की असमर्थ बालकों की शिक्षा में भूमिका- सामुदायिक संस्थानों के सदस्य निम्नलिखित तरीकों से शिक्षण भूमिका निभा सकते हैं -

  1. माता-पिता एवं शिक्षकों में बालकों के अधिकारों के सम्बन्ध सकारात्मक अनुभूति उत्पन्न करना।
  2. स्थानीय संसाधनों का संचालन करना।
  3. बालकों के डॉक्टरी परीक्षाओं के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना।
  4. विद्यालयों के लिए धन-राशि का प्रबंधन करना।
  5. असमर्थ बालकों के प्रति सामान्य जनता के नकारात्मक विश्वासों तथा अनुभूतियों के निराकरण के लिए संचार साधनों के सहयोग में वृद्धि करना।

निष्कर्ष - सामुदायिक शिक्षा सदैव सार्थक एवं सकारात्मक होती है। समाज बालकों की शिक्षा के लिए उपयुक्त श्रोताओं की व्यवस्था करता है, स्थिरता उत्पन्न करता है तथा इस प्रकार शिक्षा संस्थानों के द्वारा उनकी योग्यताओं के विकास करके, उन्हें समाज के विकासशील नागरिकों के रूप में जीवन-यापन की तैयारी में योगदान देता है।

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