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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- समावेशी शिक्षा में कक्षा अध्यापक की भूमिका का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार, "अध्यापक की भूमिका में स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संस्कृतिक और तकनीकी कौशलों को पहचानने में प्रमुख भूमिका अदा करता है और समाज के दीपक को जलाए रखने में मदद करता है।"

समावेशी प्रणाली में एक अध्यापक की भूमिका एवं उत्तरदायित्व को निम्न रूप से लिखा जा सकता है -

  1. बच्चे को उसकी योग्यताओं को विकसित करने हेतु सहायता प्रदान करना।
  2. बच्चों को मानसिक विभिन्नताओं को समझना एवं स्वीकार करना, सिखाना।
  3. बच्चों के शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं संज्ञानात्मक विकास के लिए उचित अवसर प्रदान करना।
  4. 'शून्य अस्वीकरण नीति' के सिद्धांत के तहत प्रत्येक बच्चे को कक्षा-कक्ष में स्वीकार करना।
  5. कक्षा-कक्ष गतिविधियों में प्रत्येक बच्चे को प्रतिभागिता का अवसर प्रदान करना।
  6. बाधित बच्चों की समस्याओं को समझने में अभिभावकों, शिक्षा कर्मियों की सहायता करना।
  7. बाधित बच्चों के कल्याण के लिए काम कर रहे व्यवसायिकों से संपर्क बनाए रखना।
  8. सामान्य एवं बाधित दोनों प्रकार के बच्चों का समान पाठ्यक्रम उपयोग करने के लिए प्रेरित करना।
  9. सामान्य बच्चों को बाधित बच्चों को सहयोग देने के लिए तैयार करना।
  10. सामान्य एवं बाधित बच्चों के बीच मधुर सम्बन्ध बनाना।
  11. बच्चों में आत्म-विश्वास जगाना एवं उन्हें जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना।

दृष्टि बाधित बालकों की शिक्षा में अध्यापक की भूमिका

दृष्टि बाधित बालक कई प्रकार के होते हैं। उदाहरणतः दृष्टिहीन कुछ को कम दिखाई देता है या फिर कई बच्चों की एक ही आँख होती है। इन बच्चों की देख-भाल, प्रशिक्षण एवं शिक्षा, सामान्य एवं संसाधन अध्यापक दोनों का उत्तरदायित्व होता है।

  1. दृष्टि बाधित बालकों के लिए अध्यापक का सकारात्मक दृष्टिकोण।
  2. शिक्षण में बहु-संवेदी नीति का प्रयोग।
  3. विशिष्ट उपकरणों जैसे - ब्रेल, श्रवण यंत्र आदि का प्रयोग।
  4. 'भूमिका निभाव जैसे' शिक्षण विधियों का प्रयोग।
  5. अल्प दृष्टि वाले बच्चों को आगे बढ़ाना।
  6. सामान्य बच्चों को दृष्टि बाधित बच्चों की समस्याओं से अवगत कराना।
  7. श्याम-पट पर लिखते समय ऊँची आवाज़ में बोलते हुए पढ़ाना।
  8. यह सुनिश्चित करना कि बच्चों को चिकित्सक सेवा समय पर मिले।
श्रवण बाधित बच्चों की शिक्षा में अध्यापक की भूमिका

अध्यापक के इस क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य हैं -

(1) बोलते समय, बच्चों की ओर देखना।
(2) छोटे वाक्यों का प्रयोग।
(3) धीमी गति से बोलना।
(4) बड़े श्याम-पट अथवा लेखन सामग्री की सहायता से पढ़ाना।
(5) श्रवण उपकरणों की पूर्ण जानकारी रखना।
(6) कठिन शब्द-कोषों को जानकारी देना।
(7) उन्हें नवीन तकनीकों से अवगत कराना।
(8) संसाधन अध्यापक, अभिभावकों के सम्पर्क में रहना।

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