लोगों की राय

बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- वाणी बाधित बालकों से क्या आशय है?

उत्तर—

वाणी बाधित से अभिप्राय भाषा तथा वाणी (बोलने) में समस्या होने से है। सामान्य कक्षाओं में वाणी बाधित और सामान्य रूप से भाषा में बाधित बालक होते हैं। ऐसे बालक अक्सर अध्यापक का ध्यान भी आकर्षित नहीं कर पाते हैं तथा सरलता से ऐसे बालकों में किसी प्रकार का दोष नहीं मालूम पड़ता है। ऐसे बालक बोलते या लिखते समय शब्दों का उच्चारण गलत करते हैं, अपूर्ण करके अथवा कुछ शब्द अपनी तरफ से जोड़कर अपना कार्य करते हैं। ऐसे बालक किसी वाक्य को रुक-रुक कर बोलते हैं। दो या तीन शब्द के बाद बोलने में सामान्य से अधिक समय लेते हैं अथवा कभी-कभी बोलते-बोलते चुप भी हो जाते हैं। ऐसे बालकों की समस्या को सुधारना आवश्यक है।

बालकों की वाणी असमर्थता (speech disorders) मुख्यतः तीन प्रकार की होती है—

(1) बालक के उच्चारण में असमर्थता।
(2) बालक की आवाज़ का व्यवस्थित न होना।
(3) बालक के बोलने में धाराप्रवाह अभिव्यक्ति का न होना।

'वाणी बाधित' वे बालक हैं जो मुख्य आवाज़, बोले गए शब्दों में लयबद्धता तथा शब्दों के संयोजन करने में कठिनाई का सामना करते हैं। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि बोलते समय शब्दों को छोड़ देते हैं, बदल देते हैं, तोड़-मरोड़ देते हैं या अपनी ओर से कुछ जोड़ देते हैं। ऐसे बालक स्पष्ट अथवा वाक्य को ठीक प्रकार से नहीं बोल सकते हैं। शब्दों को ठीक प्रकार से संयोगित न कर पाने के कारण उनका भाषा स्वरूप दूषित हो जाता है। ऐसे बालकों के बोलने में झिझक एवं कुछ संकोच होता है, बोलते-बोलते रुक जाते हैं, आवाज़ कभी धीमी, कभी तेज हो जाना आदि असामान्य से कोई भी लक्ष्ण हो सकता है, जो सामान्य बालकों के साथ में ही स्पष्ट दृष्टि होता है। बाधित बालकों के बोलने की लय टूट जाती है तथा उनकी आवाज़ में हलचलता होती है अर्थात् बोलते समय लड़खड़ाहट। यह धाराप्रवाह बोलने की असमर्थता कहलाती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book