बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- शारीरिक रूप से बाधित बच्चों के लक्षणों का वर्णन कीजिए!
अथवा
शारीरिक रूप से बाधित बच्चों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए!
उत्तर—
शारीरिक रूप से बाधित बच्चे कई प्रकार के होते हैं। इन्हें निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है—
- श्रवण बाधित बालक
- दृष्टि बाधित बालक
- वाणी बाधित बालक
- अस्थि बाधित बालक
उपर्युक्त सभी शारीरिक रूप से बाधित बालकों के लक्षण निम्नलिखित हैं—
- श्रवण बाधित बालकों के लक्षण
(ii) दोषपूर्ण उच्चारण।
(iii) बोलने वाले वक्ता की दिशा में सिर घुमाकर अथवा झुकाकर सुनने का प्रयास करना।
(iv) कक्षा की गतिविधियों में भाग लेने से हिचकिचाना।
(v) हाव-भाव से प्रतिक्रिया होना।
(vi) शिक्षकों के निर्देश देने पर चेहरे पर संशय का भाव रखना।
(vii) शिक्षक के कथन को बार-बार दोहराने के लिये कहना।
(viii) पारस्परिक संप्रेषण की समस्या होना।
(ix) शैक्षिक निष्पत्ति से पिछड़े होना।
(x) मौखिक निर्देशों का पालन नहीं करना आदि श्रवण बाधित बालकों के लक्षण हैं।
- दृष्टि बाधित बालकों के लक्षण -
(i) यह बालक अक्सर सिरदर्द की शिकायत करते हैं।
(ii) यह बार-बार आंखों को मलते रहते हैं।
(iii) आंखों से लगातार पानी बहता रहता है।
(iv) जब वह वस्तुओं को दूर से देखते हैं तो इनके शरीर में तनाव रहता है।
(v) कभी-कभी इनकी आंखें लाल हो जाती हैं।
(vi) इनका पढ़ने का तरीका अन्य बालकों से भिन्न होता है।
(vii) प्रकाश के प्रति यह बालक अत्यधिक संवेदनशील रहते हैं।
(viii) कभी-कभी इनकी आंखों में टेढ़ापन तथा भेंगापन भी हो सकता है।
- वाणी बाधित बालकों के लक्षण -
(i) यह बालक धाराप्रवाह तरीकों से बात नहीं कर पाते हैं।
(ii) बोलने पर अटकते हैं या रुक-रुककर बोलते हैं।
(iii) कई बालक यह बेतुके तरीके से बोलते हैं।
(iv) कई बालक नासिका की नली के फटसफटस नाक से स्वर निकालकर बोलते हैं।
(v) कई बालक बोलने के शब्दों का सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं। इसका कारण जुड़ी जीभ भी हो सकती है। कई बार इनकी जीभ लंबी या छोटी होती है जो वाणी दोष पैदा करती है।
- अस्थि बाधित बालकों के लक्षण -
(i) बच्चा चलते-चलते झुक जाता है, टेढ़ा चलता है या चलने में लड़खड़ाने लगता है अथवा अक्सर गिर जाता है।
(ii) हाथ या उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी होने के कारण बच्चा पकड़ने में कठिनाई महसूस करे या पकड़ते समय अंग नहीं मुड़े।
(iii) मांसपेशियों में आपसी सामंजस्य की कमी के कारण भारी वस्तु उठाने में बच्चा कठिनाई महसूस करता है।
(iv) लिखते के समय हाथ हिलना या कांपना या लिखते-लिखते रुक जाना या अंगुली की मांसपेशियों के काम नहीं करने के कारण कलम या पेंसिल का छूट जाना आदि।
(v) शरीर का पतित; या आंशिक रूप से लकवाग्रस्त होना।
(vi) शारीरिक विकृतियां जैसे - कुबड़ापन, हाथ का टेढ़ा, छोटा, बड़ा होना, पैर झूला होना, पैर छोटा-बड़ा होना, गदन टेढ़े होना आदि अस्थि विकृति के लक्षण हैं।
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