बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- वंचित बच्चों से क्या तात्पर्य है?
अथवा
वंचित वर्गों की शिक्षा के पिछड़पन के कारण।
उत्तर -
सामान्यतः किसी समाज में आर्थिक दृष्टि से पिछड़े व्यक्तियों को कमजोर वर्ग में रखा जाता है। शैक्षिक दृष्टि से कमजोर व्यक्तियों को निरक्षर या अनपढ़ वर्ग में रखा जाता है। किंतु आर्थिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक दृष्टि से कमजोर व्यक्तियों के बच्चों हेतु शिक्षा प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर एवं साधन प्राप्त नहीं होते हैं, उन्हें वंचित बच्चे कहा जाता है।
भारतीय समाज में मुख्य रूप से अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के बच्चों को उचित एवं पर्याप्त शिक्षा के अवसर न मिल पाने के कारण शिक्षा से वंचित होना पड़ता है। इस प्रकार के बच्चों को ही वंचित वर्ग के बच्चे कहा जाता है।
भारतीय संविधान की धारा 340, 341 तथा 342 में आर्थिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ी जातियों को पिछड़े एवं कमजोर वर्ग में रखा गया है। इन जातियों में अनुसूचित जातियाँ तथा अनुसूचित जनजातियाँ आती हैं।
शैक्षिक दृष्टि से स्त्रियों में पुरुषों की तुलना में पिछड़े रहने से उन्हें भी वंचित वर्ग में रखा गया है। हमारे देश में अभी तक मंद बुद्धि बालकों एवं विकलांग बालकों की शिक्षा की सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इस दृष्टि से भी वंचित वर्ग में रखा गया है।
वर्तमान भारत में जब वंचित, पिछड़े या कमजोर वर्ग की बात करते हैं तो निम्नलिखित वर्ग आते हैं -
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति।
- पिछड़े वर्ग एवं पिछड़े क्षेत्रों के बच्चे।
- बालिकाओं की शिक्षा।
- मंद एवं विकलांगों की शिक्षा।
- अल्पसंख्यकों के बच्चों की शिक्षा।
वंचित वर्ग के उत्थान हेतु सरकारी प्रयास
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भारत में अनुसूचित जाति (27%) और अनुसूचित जनजाति (7%) में लगभग 30% भारतीय शामिल हैं।भारतीय संविधान में इसके सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक हितों की रक्षा हेतु अनेक प्रावधान किए गए हैं।
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सर्वशिक्षा अभियान (S.S.A.) के अंतर्गत इनके लिए प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना, आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना, छात्रावास, अनुदान, छात्रवृत्तियों की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
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इन बच्चों के लिए शिक्षा संस्थानों में तथा नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था संविधान के अंतर्गत की गई है।
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महिलाओं को विज्ञान, तकनीकी तथा व्यवसाय की शिक्षा प्राप्त करने के लिए विशेष सुविधा एवं प्रोत्साहन।
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कन्या विद्या धन, मुफ्त शिक्षा, नवोदय विद्यालयों में तथा नौकरियों में आरक्षण जैसी विशेष योजनाएं।
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गूंगे-बहरे, अंधे तथा मंद बुद्धि बालकों के लिए अलग से आवासीय विद्यालयों की स्थापना।
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शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए क्षेत्रीय सघन कार्यक्रम का संचालन।
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निर्धन छात्र-छात्राओं के लिए विशेष छात्रवृत्तियाँ।
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इसलिए महत्वपूर्ण कदम सरकार द्वारा समय-समय पर उठाए जा रहे हैं।
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