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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- श्रवण बाधित बालक का क्या अर्थ है? इसके मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए।

अथवा
श्रवण बाधित बालक कौन होता है? श्रवण बाधिता कितने प्रकार की है?

उत्तर-

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, क्योंकि वह एक-दूसरे की भाषा को सुन सकने में सक्षम होता है। जो व्यक्ति दूसरे की कही बातों को समझ नहीं पाता, उसे हम श्रवण बाधित कहते हैं। जन्म के कुछ समय पश्चात् बच्चा माँ-बाप या घर के दूसरे सदस्यों की आवाज सुनकर शब्द लाता है, किंतु जब सुनने की कोशल का विकास सर्वसामान्य होता है। उसके परवश ही बोलने तथा पढ़ने-लिखने का विकास होता है। जो बालक बिल्कुल नहीं सुन सकते, उन्हें अपनी आपसी समाज में सामाजिकरण करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण तथा नए-नए वैज्ञानिक यंत्रों के कारण यह सिद्ध कर दिया है कि बहरापन या श्रवण सुनाई देना पूर्व-जन्मों का फल नहीं है बल्कि काफी हद तक लापरवाही का नतीजा है। बहरा बालक सामान्य बालकों की तरह ही होता है तथा सामान्य बालकों से अधिक प्रतिभाशाली हो सकता है।

श्रवण बाधित बालकों की परिभाषा

श्रवण बाधित बालक उनको कहा जाता है जो पूर्णरूप से या आंशिक रूप से दूसरों की आवाज़ को नहीं सुन सकता। ऐसे बालकों को प्रायः बहरा कहा जाता है। जिन बालकों को बिल्कुल ही सुनाई नहीं देता, उनको ऊँचा सुनने वाले बालकों की अपेक्षा अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। श्रवण बाधिता स्थायी तथा आंशिक हो सकती है। उदाहरण के लिए यदि किसी बालक के कान में कोई कीड़ा घुस जाए तो उसका इलाज होने के बाद बालक पुनः सुन सकता है, जबकि दूसरे श्रेणी के बालक इस प्रकार की स्थिति में भी सामान्य बालकों के साथ घुल-मिल नहीं सकता है।

इसका विपरीत पूर्ण श्रवण बाधित बालकों को बोलने में भी कठिनाई होती है क्योंकि वह सुन नहीं पाता। इस कारण वह बोल भी सही ढंग से नहीं पढ़ा या बोल सकता।

इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि श्रवण बाधित बालक वह हैं जो या तो बिल्कुल नहीं सुन सकते या बिना किसी यंत्र की सहायता से भी नहीं सुन सकते। उनका प्रशिक्षण देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। श्रवण बाधिता जन्म के परवश, चोट, दुर्घटना, बीमारी आदि के कारण भी हो सकती है।

कान मानव का एक महत्वपूर्ण ज्ञानेन्द्रिय है। हम बाहरी जानकारी सुनकर ही प्राप्त करते हैं। सुनकर ही आसपास के वातावरण का अहसास करते हैं तथा हमें खतरे का आभास भी सुनकर ही होता है। संसार की घटनाओं की जानकारी भी हमें सुनकर ही होती है। जो बालक बिल्कुल नहीं सुन सकते उनकी भाषा ज्ञान बिल्कुल ही नहीं बढ़ता क्योंकि सभी जानकारियाँ हम सुनकर ही प्राप्त करते हैं।

श्रवण बाधिता के प्रकार

श्रवण बाधिता के निम्नलिखित प्रकार हैं—

(1) पूर्ण बहरे

(क) इस श्रेणी में वे बालक आते हैं जो जन्म से ही बहरे पैदा हुए हैं।
(ख) इस श्रेणी में वे बालक आते हैं जो जन्म से तो ठीक पैदा हुए थे लेकिन बाद में किसी चोट, दुर्घटना, बीमारी या गलत दवाई के प्रयोग से उनके सुनने की शक्ति जाती रही।

(2) आंशिक बहरे

इस श्रेणी में वह बालक आते हैं जो या तो कम सुनते हैं या फिर ऊँचा सुनते हैं। श्रवण शक्ति के आधार पर उनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है—

(i) बिल्कुल कम श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 20-30 डेसिबल (db) तक का नुकसान होता है। ताकि उनकी आवाज साफ सुनाई दे, बालकों को सामान्य दूरी से सुनाई कम देता है। अतः अध्यापक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे बालकों की कक्षा में आगे की बेंच पर बिठाएँ। अध्यापक को चाहिए कि वह इस प्रकार के बालकों की दूसरी समस्याओं को समझकर उनका समाधान करें।

(ii) मध्यम श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों को सुनने की शक्ति में 30-40 db तक का नुकसान होता है। उनको सामान्य दूरी पर बातचीत सुनने में समस्या होती है। इस प्रकार के बालक सुनने के यंत्र का प्रयोग करके सुन सकते हैं।

(iii) अधिक श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 40-60 db तक नुकसान होता है। इस प्रकार के बच्चे बिना यंत्र की सहायता के सुन नहीं सकते तथा उन्हें भाषा को भी समझने में परेशानी होती है। इस प्रकार के बच्चों की शिक्षा के समय दृश्य सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए।

(iv) गंभीर श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 60-75 db तक का नुकसान होता है। इस प्रकार के बच्चे भाषा तथा वाणी के सहायक सामग्री के अधिक प्रयोग से अनुशासित व प्रशिक्षित अध्यापक के निर्देश में कुछ सीख सकते हैं। उनको सुनने योग्य बनाया जा सकता है या फिर उनको ऊँचा सुनने वालों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस प्रकार के बालकों को विशेष प्रकार के शिक्षण की आवश्यक होती है।

(v) पूर्ण श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 75 db तक का अधिक नुकसान हो सकता है। सुनने के यंत्र के प्रयोग के साथ भी इस प्रकार के बच्चों को सुनने में कठिनाई होती है। अतः यह आवश्यक है कि इस प्रकार के बच्चों को विशेष श्रवण शिक्षण दिया जाए।

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