बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- सांप्रदायिकता राजनीति में कौन-से रूप धारण कर सकती है?
उत्तर-
सांप्रदायिक राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है—
सांप्रदायिकता सबसे आम अभिव्यक्ति दैनिक जीवन में ही दिखती है। इनमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक भेदभाव से भरी बानी धारणाएँ और एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यता शामिल है। ये चीज़ें इतनी आम हैं कि अक्सर हम उन पर ध्यान तक नहीं देते जबकि ये हमारे अंदर ही बैठी होती हैं। सांप्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के फिराक में रहती है। जो लोग बहुसंख्यक समुदाय के होते हैं, उनको यह कोरा बहुसंख्यवाद का रूप ले लेती है। उनमें यह विश्वास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है।
सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी सांप्रदायिकता का दूसरा रूप है। इसमें धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्मग्रंथों, भावनात्मक अपील और अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीकों का उपयोग बहुत आम है। चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं या हितों की बात उठाने जैसे तरीके अक्सर अपनाए जाते हैं।
कई बार सांप्रदायिकता सबसे गंदा रूप लेकर संघर्षों के आधार पर हिंसा, दंगा और नरसंहार कराती है। विभाजन के समय महात्मा और राष्ट्रपिता में भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे। आज़ादी के बाद भी बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई है।
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