बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- हमारा समाज ही नारी के प्रति हो रहे भेदभाव के लिये जिम्मेदार है।' इस तर्क की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
हमारा समाज पुरुष की विशेषताओं को नारीत्व की तुलना में कहीं अधिक सम्मान देता है और इसके साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि जो स्त्री-पुरुष पहले से तय मानकों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरते, उन्हें 'उचित' व्यवहार के साँचे में ढालने की प्रक्रिया चलती रहे। मिसाल के तौर पर अगर कोई पुरुष लोगों के सामने रोकर अपना दुख व्यक्त करता है तो उसे ताने दिए जाते हैं कि "औरतों की तरह रोते हो", और जब कोई पुरुष समाज के व्याख्यात्मक खाने में नहीं फिट हो पाता समाज उनसे कहता है "चूड़ियाँ पहन लो" "भला सुब्रत कुमार चौहान को लोग पंचायती कैसे याद नहीं होंगे", "खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली थी"। इससे क्या अर्थ निकाला है? एक औरत शौर्य और वीरता का प्रदर्शन कर रही है लेकिन उसके लिये मर्दानी शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। कुल मिलाकर बहादुरी का गुण पुरुषों की ही विशेषता मानी जाती है फिर भले ही कितनी भी औरतें बहादुरी का प्रदर्शन करती रहें और कितने ही पुरुष पीठ दिखा कर भाग खड़े होते रहें।
इसलिए यह साफ है कि महिलाएँ, पुरुषों से कमजोर नहीं हैं, बल्कि यह लैंगिक असमानता ऐसे सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्य, विचारधाराओं और संस्थाओं की देन है, जो महिलाओं की वैचारिक तथा शारीरिक अधीनता को सुनिश्चित करती हैं।
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