बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
• नियंत्रण एक ऐसा आधारभूत प्रबन्धकीय कार्य हैं जो सामान्यतया अन्य कार्यों के पीछे चलता है।
• नियोजन एवं नियंत्रण एक-दूसरे से निकट रूप से सम्बन्धित होते हैं।
• नियंत्रण कार्य रेफ्रीजरेटर में थर्मोस्टेट के समान होता है।
• नेटवर्क विश्लेषण जटिल परियोजनाओं के नियोजन एवं नियंत्रण की तकनीक है। नियंत्रण चक्र में मुख्यतः चार चरण होते हैं।
• नियंत्रण प्रबन्ध का आखिरी कार्य होता है।
• बजट में लोच होने से लागत नियंत्रण का कार्य सरल व सुविधाजनक हो जाता है।
• मास्टर बजट एक समन्वय करने वाला बजट है तथा उच्च प्रबन्धकों हेतु उपयोगी होता है।
• उत्पादन बजट विक्रय बजट की आवश्यकता की पूर्ति करता है ।
• नियत्रणों की विविधता के कारण उनका पारस्परिक सम्बन्ध व प्रभाव मालूम करना कठिन होता है।
• वित्तीय बजट वास्तव में पूर्वानुमानित स्थिति विवरण तथा लाभ-हानि का खाता होता है।
• समग्र नियंत्रण होने से संकुचित दृष्टिकोण से होने वाली हानियों को रोका जा सकता है। नियोजन आगे देखना है जबकि नियंत्रण पीछे देखना।
• पर्ट तकनीक गतिविधियों के नियोजन एवं नियंत्रण के लिए सम्भावित तथा रेखीय प्रोग्रामिंग का उपयोग करती है।
• उत्पादन क्षमता या निवेश मूल्यांकन प्रबन्ध अंकेक्षण के विषय हो सकते हैं।
• नियंत्रण लक्ष्यों एवं योजनाओं के अस्तित्व की पूर्व- कल्पना करता हैं।
• प्रबन्ध अंकेक्षण भूत, वर्तमान एवं भविष्य को देखता है।
• बजटरी नियंत्रण से तात्पर्य वास्तविक प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कार्यकलापों का पता लगाया जाता है।
• नियंत्रण प्रबन्ध के सभी स्तरों पर होता है।
• नेटवर्क विश्लेषण जटिल परियोजनाओं के नियोजन एवं नियंत्रण की तकनीक है।
• नियंत्रण उन घटनाओं का पोस्टमार्टम है जो पहले हो चुकी हैं।
जहाजों के निर्माण की दशा में पर्ट तकनीक का उपयोग किया जाता हैं।
• अच्छी रिपोर्टिंग का आवश्यक तत्व अपवाद द्वारा प्रबन्ध के सिद्धान्त को प्रयोग करना है।
• सी पी एम तकनीक सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्वों की पहचान करती है तथा गतिविधियों पर अधिक ध्यान देती है।
• नियोजन विगत अनुभव पर आधारित होता है।
• नियंत्रण से प्रबन्धक अन्तिम नियंत्रण खोये बिना निम्न स्तर पर निर्णयन का पोषण कर सकते हैं।
• नियंत्रण प्रक्रिया का प्रथम चरण लक्ष्यों एवं मानकों को स्थापित करना है।
• प्रभावों से वास्तविक अनुपालन की तुलना नियंत्रण प्रक्रिया का तृतीय चरण होता है।
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