बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
• संगठन संरचना से हमारा आशय किसी उपक्रम की समग्र संगठन व्यवस्था का रूप निर्धारित करने से है।
• संगठन का मूलभूत उद्देश्य होता है न्यूनतम व्यय पर अधिकतम उत्पादन किया जा सके। औपचारिक संगठन पूर्णतः अव्यक्तिगत होता है।
• आधुनिक युग में प्रत्येक उपक्रम को अपनी क्रियाओं का विकास व विस्तार करना पड़ता है।
• अच्छे संगठनों में भ्रष्ट कर्मचारी नहीं आ पाते जिससे भ्रष्टाचार जैसे दुर्गण नहीं आ पाते।
• कुशल संगठन के अन्तर्गत सब कुछ पूर्णता: व्यवस्थित होता है।
• संगठन एक प्रक्रिया है।
• संगठन सामान्य हितों की पूर्ति के लिए बनाया गया मनुष्यों का एक समुदाय है। -मूने व रैले
• "संगठन एक विधिसंगत तथा साभिप्राय भूमिकाओं या अव्यास्थितियों की संरचना है।" -कूण्टज एवं ओ' डोनेल
• संगठन में विशिष्टीकरण को भी प्रोत्साहन मिलता है। संगठन में उददेश्य और कार्य की एकता लाने के लिए समन्वय का होना आवश्यक होता है।
• प्रबन्धकों की रणनीति का भी संगठन संरचना पर प्रभाव पड़ता है अतः संगठन संरचना उनकी व्यूह रचना के अनुकूल होनी चाहिए।
• अच्छे संगठन में सम्प्रेषण व्यवस्था भी अच्छे तरीके से काम करती है तथा समस्याएँ नहीं आ पाती। इससे प्रबन्ध व्यवस्था सरल हो जाती है।
• श्रेष्ठ संगठन से संस्था के विकास व समृद्धि में सहायता मिलती
• कुशल संगठन के अन्तर्गत सब कुछ पूर्णरूप से व्यवस्थित रहता है।
• "संगठन वास्तव में विभिन्न क्रियाओं तथा घटकों के बीच का सम्बन्ध नहीं है।" -विलियम आर० स्प्रीगल
• कार्य का विशिष्टीकरण तथा निर्देश की एकता इनके मूल सिद्धान्त हैं।
• प्रत्येक संगठन तथा संगठन के प्रत्येक भाग का वही उद्देश्य होना चाहिए जो कि समस्त संस्था का हो।
• विभागों में प्रभावी समन्वय करने की कला को वाणिज्यक भाषा में संगठन कहते हैं। संगठन प्रबन्ध तन्त्र है।
• संगठन सामान्य हितों की पूर्ति के लिए बनाया मनुष्यों का समुदाय होता है।
• संगठन के लक्षण या विशेषताएँ निम्नवत् हैं-
निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति के लिए एक तन्त्र
व्यक्तियों का समूह
श्रम विभाजन
कार्यों व अधिकारों की स्पष्ट व्याख्या
प्रबन्ध का एक महत्वपूर्ण कार्य
विभिन्न प्ररूप एवं प्रकार
व्यवसायिक एवं गैर व्यवसायिक क्रियाओं के सम्पादन हेतु एक सारभौमिक व्यवस्था
• संगठन एक समूह प्रक्रिया, सम्बन्धो के ढाँचे, प्रबन्ध तन्त्र, पद्धति कार्य के रूप में हो सकता है।
• संगठन साधन के रूप में होता है न कि साध्य के रूप में।
• संगठन एक क्रियात्मक, चक्रीय, विवेकपूर्ण क्रिया
• संगठन एक कला है।
• संगठन उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक उपकरण है।
• संगठन का उद्देश्य लक्ष्यों की प्राप्ति, विकास, मितव्ययिता, मधुर सम्बन्ध तथा सेवाभाव, स्थिरता को प्राप्त करना होता है। संगठन की सफलता के लिए उद्देश्य का सिद्धान्त समन्वय का सिद्धान्त, उत्तरदायित्व का सिद्धान्त, लोच का सिद्धान्त तथा कशलता का सिद्धान्त आदि अपनाने होते हैं।
• संगठन से प्रबन्धकीय कार्यक्षमता में वृद्धि होती है तथा विकास को बढ़ावा मिलता है। औपचारिक संगठन की उत्पत्ति अधिकारों के प्रत्यायोजन से होती है।
• औपचारिक संगठन का आकार बड़ा हो सकता है।
• औपचारिक संगठन में सत्ता का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है।
• औपचारिक संगठन अधिक स्थायी होते हैं।
• अनौपचारिक संगठन की उत्पत्ति स्वतः पारस्परिक सम्बन्धों के कारण होती है।
• अनौपचारिक संगठन सामाजिक संतुष्टि हेतु बनाए जाते हैं।
• अनौपचारिक संगठन की स्थापना नहीं की जाती वरन् ये स्वाभाविक रूप से स्वतः ही स्थापित हो जाते है।
• अनौपचारिक संगठन का क्षेत्र संकुचित होता है।
• औपचारिक संगठन का क्षेत्र व्यापक होता है। एक आदर्श संगठन में निम्नलिखित विशिष्टियाँ होनी चाहिए-
कार्यो का स्वस्थ समूहीकरण
कर्त्तव्यों व दायित्वों का स्पष्ट आवंटन
मानव शक्ति का अधिकतम उपयोग
विकास व विस्तार की व्यवस्था
गत्यामक तथा प्रभावी नेतृत्व
स्वस्थ संचार व्यवस्था।
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