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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2731
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

• विभागीयकरण का आशय उपक्रम के संगठन को विभिन्न विभागों तथा उप-विभागों में बाँटने से होता है।

• विभागीयकरण व्यवसाय व उद्योग की प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है।

• सामान्य प्रकार की क्रियाएँ एक ही विभाग में रखी जाती हैं।

• प्रत्येक विभाग स्वतंत्र एवं लोचदार होता है।
• विभागीयकरण विस्तृत प्रक्रिया का एक अंग है।

• विभागीयकरण में क्रियाएँ समूहीकृत की जाती है। प्रत्येक विभाग अपनी क्रियाओं में स्वतंत्र होता है।

• विभागीयकरण का प्रमुख उद्वेश्य विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त करना है।

विभागीयकरण के आधार, विधियों, तरीके या प्रकार- निम्नलिखित हैं-

संख्यात्मक विभागीयकरण
उपक्रम के कार्यनुसार विभागीयकरण
उत्पादनानुसार विभागीयकरण
क्षेत्रानुसार विभागीयकरण
ग्राहकानुसार विभागीयकरण
प्रक्रियानुसार विभागीयकरण
समयानुसार विभागीयकरण
संयुक्त आधार पर विभागीयकरण

• संख्यात्मक विभागीयकरण में कर्मचारियों को निश्चित संख्या के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है।

• संख्यात्मक विभागीयकरण उन उपक्रमों के उपयुक्त होता है जहाँ क्रम की सफलता जन-शक्ति पर निर्भर करती है।

• कार्यानुसार विभागीयकरण में कार्यो के अनुसार विभागीयकरण होता है। प्रारम्भ में विभागों की संख्या कम होती है।

• कार्यानुसार विभागीयकरण में मानवीशत्ति का कुशल उपयोग सम्भव होता है।

• निर्मित किए जाने वाले उत्पादों के आधार पर विभागीयकरण को उत्पादनानुसार विभागी कहते है। इसमें प्रबन्धकीय विकास करना आसान होता है।

• उपक्रम का कार्यक्षेत्र राष्ट्रव्यापी होने पर उनकी क्रियाओं का संचालन शाखा कार्यालयों द्वारा होता है। इसे क्षेत्रानुसार विभागीयकरण कहते है।

• उपक्रम की क्रियाओं का ग्राहकों के आधार पर विभागीयकरण विक्रय कार्य में अधिकतर पाया जाता है।

• यदि वस्तु का निर्माण कई प्रक्रियाओं से गुजरता हो, तो प्रक्रियानुसार विभागीयकरण किया जाता है।

• वस्त्र उद्योग में प्रक्रियानुसार विभागीयकरण होता है।

• लोकोपयोगी संस्थाओं, बड़ी औद्योगिक इकाईयों में समयानुसार विभागीयकरण किया जा सकता है।

• यदि व्यावसायिक संस्था का क्षेत्र अति विस्तृत हो तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन कार्य होता है तो संयुक्त आधार पर विभागीयकरण किया जा सकता है।

• संयुक्त आधार पर विभागीयकरण में संयुक्तीकरण के लाभ मिलते हैं।

• उपयुक्त विभागीयकरण के लिए विशिष्टीकरण के लाभ, नियंत्रण में सुविधा, समन्वय में सहायता, व्ययों पर नियंत्रण होना चाहिए।

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