बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
• विभागीयकरण का आशय उपक्रम के संगठन को विभिन्न विभागों तथा उप-विभागों में बाँटने से होता है।
• विभागीयकरण व्यवसाय व उद्योग की प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है।
• सामान्य प्रकार की क्रियाएँ एक ही विभाग में रखी जाती हैं।
• प्रत्येक विभाग स्वतंत्र एवं लोचदार होता है।
• विभागीयकरण विस्तृत प्रक्रिया का एक अंग है।
• विभागीयकरण में क्रियाएँ समूहीकृत की जाती है। प्रत्येक विभाग अपनी क्रियाओं में स्वतंत्र होता है।
• विभागीयकरण का प्रमुख उद्वेश्य विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त करना है।
विभागीयकरण के आधार, विधियों, तरीके या प्रकार- निम्नलिखित हैं-
संख्यात्मक विभागीयकरण
उपक्रम के कार्यनुसार विभागीयकरण
उत्पादनानुसार विभागीयकरण
क्षेत्रानुसार विभागीयकरण
ग्राहकानुसार विभागीयकरण
प्रक्रियानुसार विभागीयकरण
समयानुसार विभागीयकरण
संयुक्त आधार पर विभागीयकरण
• संख्यात्मक विभागीयकरण में कर्मचारियों को निश्चित संख्या के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है।
• संख्यात्मक विभागीयकरण उन उपक्रमों के उपयुक्त होता है जहाँ क्रम की सफलता जन-शक्ति पर निर्भर करती है।
• कार्यानुसार विभागीयकरण में कार्यो के अनुसार विभागीयकरण होता है। प्रारम्भ में विभागों की संख्या कम होती है।
• कार्यानुसार विभागीयकरण में मानवीशत्ति का कुशल उपयोग सम्भव होता है।
• निर्मित किए जाने वाले उत्पादों के आधार पर विभागीयकरण को उत्पादनानुसार विभागी कहते है। इसमें प्रबन्धकीय विकास करना आसान होता है।
• उपक्रम का कार्यक्षेत्र राष्ट्रव्यापी होने पर उनकी क्रियाओं का संचालन शाखा कार्यालयों द्वारा होता है। इसे क्षेत्रानुसार विभागीयकरण कहते है।
• उपक्रम की क्रियाओं का ग्राहकों के आधार पर विभागीयकरण विक्रय कार्य में अधिकतर पाया जाता है।
• यदि वस्तु का निर्माण कई प्रक्रियाओं से गुजरता हो, तो प्रक्रियानुसार विभागीयकरण किया जाता है।
• वस्त्र उद्योग में प्रक्रियानुसार विभागीयकरण होता है।
• लोकोपयोगी संस्थाओं, बड़ी औद्योगिक इकाईयों में समयानुसार विभागीयकरण किया जा सकता है।
• यदि व्यावसायिक संस्था का क्षेत्र अति विस्तृत हो तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन कार्य होता है तो संयुक्त आधार पर विभागीयकरण किया जा सकता है।
• संयुक्त आधार पर विभागीयकरण में संयुक्तीकरण के लाभ मिलते हैं।
• उपयुक्त विभागीयकरण के लिए विशिष्टीकरण के लाभ, नियंत्रण में सुविधा, समन्वय में सहायता, व्ययों पर नियंत्रण होना चाहिए।
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