बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
• समन्वय कोई कार्य नहीं वरन् प्रबन्ध का सार है।
• समन्वय प्रत्येक प्रबन्धक का दायित्व होता है। समन्वय स्वतः प्राप्त नहीं किया जा सकता।
• समन्वय संगठनात्मक प्रयासों से प्राप्त होता है।
• समन्वय सतत् प्रक्रिया होती है।
• समन्वय एक ऐसी अवधारणा है जो सामूहिक प्रयासों से लागू होती है।
• समन्वय का उद्देश्य प्रयासों की एकता है ।
• समन्वय सार्वभौमिक है।
• समन्वय के बिना सहकारिता व्यर्थ है तथा सहकारिता के बिना समन्वय प्राप्त नहीं किया जा सकता।
• समन्वय की प्राप्ति प्रबन्धकीय दक्षता से प्राप्त होती है।
• समन्वय की आवश्यकता संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु होती है।
• समन्वय के लाभ निम्नवत हैं-
अन्तर्निर्भर इकाइयों के कार्यों का एकीकरण।
हितों में भेद का समाधान।
प्रबन्धकीय प्रक्रिया की प्रभावशीलता सुनिश्चित करना।
मानवीय सम्बन्ध स्थापित करना।
उत्पादकता को बढ़ाना।
परिवर्तन की सुविधा देना।
• समन्वय विभिन्न प्रखण्डों, विभागों, इकाइयों, शाखाओं आदि के बीच होता है। इसे आन्तरिक समन्वय कहते हैं।
• क्षैतिज समन्वय परस्पर समझ, परामर्श एवं सहयोग से सम्भव होता है।
• फेयोल, मेक्फारलैण्ड, रेनसिस लिकर्ट ने समन्वय हेतु प्रजातन्त्र का सिद्धान्त, संतुलन का सिद्धान्त, गत्यात्मकता का सिद्धान्त, सुपरिभाषित उद्देश्यों का सिद्धान्त, स्वस्थ संगठन संरचना का सिद्धान्त, प्राधिकार की स्पष्ट रेखा का सिद्धान्त, आदि बताए है।
• समन्वय की तकनीकों / उपायों में प्राधिकार की सौपानिकता, नियोजन, स्थायी योजना, स्टाफ समूह, अनौपचारिक समन्वय, प्रभावी नेतृत्व एवं पर्यवेक्षण, प्रेरणा, जनसम्पर्क विभाग, स्वस्थ निर्णयन प्रक्रिया आदि शामिल हैं।
• संगठन का बड़ा आकार, जटिल ढांचा, समय आयाम में अन्तर उचित संचार की कमी, सामूहिक राजनीति, अनुभव की कमी आदि समन्वय की बाधाएँ हैं।
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