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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सूचना तकनीकी का पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य में योगदान को स्पष्ट कीजिए।

अथवा 
पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के सन्दर्भ में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

सूचना प्रौद्योगिकी

आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्तिकारी विकास हुआ है । स्वतन्त्रता के पश्चात् जनसंचार के विविध साधनों के आविष्कार और प्रसार से सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्ति हुई है। किसी भी देश की सूचना प्रौद्योगिकी की उन्नति और विस्तार का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है और इस प्रभाव के परिणामस्वरूप मानव जीवन की गुणवत्ता पर इसका गहरा असर होता है। वास्तव में आज सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति ने आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की नवीन सम्भावनाओं को जन्म दिया है, जिनसे विकसित और विकासशील दोनों ही प्रकार के देश लाभान्वित हुए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आज कम्प्यूटर संचार और सॉफ्टवेयर उद्योग का अत्यधिक बोलबाला है, क्योंकि इनमें अत्यधिक विकास हुआ है और आज भारत का सॉफ्टवेयर अन्तर्राष्ट्रीय जगत् में सबसे ज्यादा पसन्द किया जाता है तथा आज इसका व्यापक विस्तार हुआ है। सन् 2000-01 में कुल उत्पादन 8.3 लाख डालर और निर्यात 6.2 अरब डालर तक पहुँच गया है। सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (I.T.) के अन्तर्गत भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के लिए सन् 2012 तक 62.3 अरब डालर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। भारत में आई. टी. सॉफ्टवेयर तथा सेवा उद्योग का कुल घरेलू उत्पाद में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान है।

भारतीय आई.टी. के अन्तर्गत भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोफेसनल्स ने विश्व बाजार में आज अपनी ब्राण्ड छवि बना ली है। आज विश्व की 1000 कम्पनियों में से 260 बड़ी कम्पनियों को भारतीय साफ्टवेयर फार्चुन उनकी आवश्यकता की पूर्ति करता है। भारत में साफ्टवेयर उद्योग ने उत्कृष्ट गुणवत्ता उपलब्ध कराने के लिए अपना विशेष स्थान बना लिया है। आज अनेक भारतीय साफ्टवेयर कम्पनियों को अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता के प्रमाण-पत्र प्राप्त हो चुके हैं।

आज भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग की क्रान्तिकारी वृद्धि हो रही है। यह उद्योग कर्मचारियों के सहयोग से सॉफ्टवेयर विकास एकीकरण से आई. टी. व्यापार परामर्श तक पहुँच गया है। आज भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भारतीय आई. टी. उद्योग की इस वृद्धि के मुख्य चालक के रूप में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित उद्योग में वर्तमान में 70 हजार लोग कार्यरत हैं तथा कुल आई.टी. सॉफ्टवेयर तथा सेवा उद्योग के राजस्व में इसका हिस्सा 10.6% है।

आई.टी. उद्योग के अन्तर्गत भारत में विविध प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्रियों का उत्पादन करोड़ों में किया है। इसमें कम्प्यूटर तथा सूचना एवं प्रसारण सम्बन्धी उपकरण प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएँ भी अत्यधिक उत्पादित की जाती हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का आज अत्यधिक विस्तार होता जा रहा है। समाज और सामाजिक जीवन में भी इसके द्वारा उत्पादित जनसंचार के उपकरणों और मनोरंजन के साधनों तथा सूचनाओं के माध्यमों का आज समाज में व्यापक विस्तार हो चुका है। आज भारतीय समाज का प्रत्येक सदस्य सूचना प्रौद्योगिकी की सेवा का लाभ उठाता है। देश के कोने-कोने में सूचनाओं का प्रसारण विभिन्न माध्यमों से किया जाता है, जिनमें प्रेस, समाचार, पत्र-पत्रिकाएँ, रेडियो और टेलीविजन, चलचित्र एवं प्रदर्शनी एवं नवीन इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, जैसे - कम्प्यूटर स्क्रीन, वीडियो, स्टेलाइन, नेटवर्क, रेडियो आदि की सेवाएँ भारतीय समाज में जन-जन तक आज पहुँचती हैं और उनका लाभ सम्पूर्ण जन-समुदाय उठाता है।

सूचना प्रौद्योगिकी का इतना विस्तार हो रहा है कि इसका अपना अलग मंत्रालय है तथा सन् 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम पारित करके ई. कॉमर्स इन्टरनेट के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था के आवश्यक क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) को तीव्रता से शामिल करने की स्वीकृति सरकार ने दे दी है। यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य और लेन-देन को यह कानूनी ढाँचा प्रदान करता है और इलेक्ट्रॉनिक्स अनुबंधों को मान्यता, कम्प्यूटर अपराधों का निवारण, इलेक्ट्रॉनिक्स रूप से दस्तावेज दाखिल करना, डिजिटल हस्ताक्षर आदि इसके उद्देश्य हैं।

कानून को अमल में लाने के लिए नियमों की घोषणा कर दी गई है और यह 17 अक्टूबर, 2000 से लागू हो गया। प्रमाणीकरण प्राधिकरण के नियंत्रक की नियुक्ति कर दी गई है।

सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटिड सर्किट ले-आउट डिजाइन अधिनियम, 2000 सेमीकंडक्टर इंटीग्रेडिट सर्किट ले-आउट डिजाइन की सुरक्षा तथा उससे जुड़े मुद्दों के लिए सरकार ने सेमीकंडक्टर इंटीग्रटिड सर्किट ले-आउट डिजाइन, अधिनियम, 2000 बनाया है। इसको लागू करने वाले नियमों का प्रारूप सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वेब पेज पर डाला गया है।

सूचना तकनीकी का पर्यावरण में योगदान

आधुनिक विश्व को वर्तमान स्तर तक पहुँचाने और भविष्य में और अधिक उच्च करने में तकनीकी विकास की महती भूमिका है। वर्तमान की औद्योगिकी, परिवहन एवं वैज्ञानिक प्रगति का एकमात्र आधार सूचना तकनीकी का विकास है। मानव जीवन का स्तर उठाने तथा राष्ट्रों की आर्थिक प्रगति सूचना तकनीकी के विकांस का ही परिणाम है। सूचना तकनीकी के विकास द्वारा ही पर्यावरण के अवकर्षण को रोका जा सकता है।

आज सूचना तकनीकी ने इतनी तरक्की कर ली है कि जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। पर्यावरण के विभिन्न आयामों जैसे पर्यावरण का अध्ययन, पर्यावरण पर शोध सूचना एकत्रीकरण, महत्त्वपूर्ण प्रेक्षणों को उचित माध्यम द्वारा जन साधारण तक पहुँचाना आदि सभी पर्यावरण अध्ययन के विभिन्न पद हैं व इन सभी में सूचना तकनीकी का योगदान है।

पर्यावरण पर कार्य करने वाले शोधार्थियों को, शिक्षकों को, जैव वैज्ञानिकों को, भू-वैज्ञानिकों को पर्यावरण सम्बन्धी कई सूचनाओं की आवश्यकता होती है। आज उपग्रहों द्वारा विश्व व ब्रह्माण्ड में घंटी किसी भी पर्यावरण सम्बन्धी अच्छी या हानिकारक घटना का पता व उसकी सूचना तुरन्त ही सब जगह पहुँच जाती है।

मौसम सम्बन्धी प्रत्येक जानकारी के लिए अलग से उपग्रह स्थापित हैं, जिनसे हर क्षण, जमीनी केन्द्रों पर सूचनायें आती रहती हैं।

सूचना तकनीकी का मानव स्वास्थ्य में योगदान

(1) बड़े संयंत्रों, कारखानों आदि में रेडियो उपकरण लगे रहते हैं, जिनसे किसी दुर्घटना . की या आपातकालीन स्थिति की सूचना तुरन्त ही सम्बन्धित केन्द्रों पर पहुँच जाती है ।

(2) सूचना तकनीकी में कम्प्यूटर के माध्यम से बीमारियों को पकड़ना सहज हो गया है।

(3) आज विभिन्न प्रकार के टेस्ट आदि के माध्यम से मानव शरीर एवं उपस्थित छोटी से छोटी बीमारी का पता लगाया जा सकता है ।

(4) आज कई विभिन्न तकनीकों के माध्यम से शल्य क्रिया हेतु आधुनिक कम्प्यूटरीकृत उपकरण काम में लाये जाते हैं।

(5) सूचना तकनीकी के माध्यम से आज गाँव में बैठा हुआ डॉक्टर यदि चाहे तो चिकित्सा विज्ञान में, आधुनिकतम शोध व सुविधा के बारे में सभी विकसित देशों में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी से मानव के स्वास्थ्य को लाभ पहुँचा सकता है।

(6) किसी भी बीमारी के त्रि-आयामी चित्र प्राप्त करके उस बीमारी की गहनता का चित्रमयी अध्ययन किया जा सकता है।

(7) सूचना तकनीकी के विभिन्न उपकरणों व उपग्रहों के जरिये एक सर्जन अमेरिका में बैठकर भारत में शल्य क्रिया पर नियंत्रण रख सकता है।

(8) सूचना तकनीकी के माध्यम से ही आज डॉक्टर को कई प्रकार के ऑपरेशन करने के लिए चीर-फाड़ करने की भी आवश्यकता नहीं होती बल्कि लेजर किरणों या अन्य माध्यम द्वारा शल्य क्रिया पूरी कर ली जाती है।

(9) सूचना तकनीकी का एक आविष्कार इंटरनेट है। जिसके माध्यम से कोई भी डॉक्टर विश्व की किसी भी शल्य क्रिया वाले स्थान से लगातार सम्पर्क में रह सकता है।

इस प्रकार सूचना तकनीकी का पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है।

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