बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वर्तमान युग में बच्चों एवं किशोरों पर मीडिया का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बच्चों तथा किशोरों पर मीडिया का प्रभाव'
जब भी कोई बदलाव जीवन में आता है अथवा लाया जाता है तो वह परिवर्तन अपने संग स्याह-सफेद आदि गुण-दोष भी लेकर आता है। आज हम यदि जन संचार के क्षेत्र में विकास के नवीन आयाम देख रहे हैं तो स्पष्ट रूप से यह भी देख रहे हैं कि जीवन में बहुत-कुछ उपलब्ध हो रहा है तो बहुत कुछ ऐसा भी है जो हमारे हाथों से अनायास फिसलता जा रहा है।
मशीन जब तक व्यक्ति की सहयोगी बनी रहती है और तकनीक मौलिकता को प्रभावित नहीं करती है या उस हावी नहीं होती तब तक उसका सदुपयोग होता है। सूचना प्रौद्योगिकी के जन- संचार माध्यमों के क्षेत्र में बढ़ते कदमों ने सबसे पहले वही प्रभाव उत्पन्न किए थे जिसे हम जीवन के लिए उपयोगी, हितकर समझते हैं।
श्री अर्जुन तिवारी ने अपनी 'ई-जर्नलिज्म' नामक पुस्तक की भूमिका में लिखा है- “दुनिया में पहले भुजा की शक्ति थी, बाद में भाप की शक्ति आई, तत्पश्चात् तेल की शक्ति का आगमन हुआ। आज तो आणविक उपग्रह की शक्ति है।"
मुद्रण मशीन, टेलीग्राम, टेलीग्राफ, थल- ट्रांसमीशन, जलमग्न - केबल, भूमिगत केबल, उपग्रह व्यवस्था ने संचार जगत को नित नूतन आयाम दिए। मीडिया के प्रभावों को निम्न वर्गों के अन्तर्गत बांटा जा सकता है-
(1) ई-जर्नलिज्म - विकास के नये क्षितिज - कम्प्यूटर इंटरनेट, ई-मेल, मल्टीमीडिया, कन्वर्जेंस के अलावा इनसेट ने पूरी पत्रकारिता को ई-जर्नलिज्म में परिवर्तित कर दिया है। इसका बच्चों तथा किशोरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जन सम्प्रेषण, जन शिक्षण एवं जन हित, मनोरंजन के लक्ष्य को लेकर सूचना क्रान्ति के कर्णधारों के नियमन, संयोजन, सम्पादन, प्रकाशन तथा प्रसारण ही आज की पत्रकारिता है। आज की पत्रकारिता कला, शिल्प तथा विज्ञान की संयुक्त परिकल्पना है। आज पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभावकारी परिवर्तन स्पष्ट परिलक्षित हो रहे हैं।
(2) उत्पादन वृद्धि - जीवन और जगत् के प्रत्येक क्षेत्र में नवीन तकनीकी विकास तथा उससे प्रभावित संचार जगत् ने विस्मयकारी कार्य किया है। प्रत्येक क्षेत्र में उत्पादन की क्षमता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ी है। संचार के आधुनिक रूप की जन्मदात्री इलेक्ट्रॉनिकी है। उद्योग के प्रत्येक क्षेत्र की जानकारी पूरे संसार से एकत्र कर हमारी संचार प्रक्रिया भी उत्पादन वृद्धि में सहायक हो रही है। जन संचार माध्यमों के नित नये मॉडल नई सुविधाओं के साथ आ रहे हैं।
(3) गुणवत्ता - हमारे संचार माध्यमों की गुणवत्ता में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है । चाहे प्रिंट मीडिया कहो अथवा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, नई साज-सज्जा, नई तकनीक लेकर प्रतिदिन उपभोक्ताओं को लुभा रहा है। कनर्वर्जेंस टेलीकम्यूनिकेशन ब्रॉडकास्टिंग तथा नेटवर्किंग को सम्मिलित कर एक ऐसे एकल डिजिटल नेटवर्क का निर्माण करता है, जिसके द्वारा उपभोक्ता की सभी आवश्यकताएँ—टेलीफोन फैक्स, टी.वी., इंटरनेट, वीडियोफोन, मूवी, संगीत, मनोरंजन आदि एक ही स्रोत से पूरी हो जाती हैं। आधुनिक सूचना तकनीक से युक्त हमारे जनसंचार माध्यमों ने सरकारी कार्य क्षेत्र को प्रभावित किया है। जनता की शिकायतें दूर करने और देखते-देखते आवश्यकताओं को पूरा करने वाली अति विचित्र पद्धति का प्रभुत्व बढ़ रहा है। यह 'ई-शासन' (ई-गवर्नेस) एक सरल तथा पारदर्शी व्यवस्था है। बाबू - संस्कृति से जनता को छुटकारा मिल रहा है। व्यर्थ की भागदौड़ से त्रस्त जनता को राहत की साँस लेने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
(4) समय की बचत - मानव के व्यस्ततम जीवन में नई सूचना प्रणाली ने आराम के अवसर प्रदान किए हैं। काम की कोई आपा-धापी नहीं है। काम के बोझ के तले रहने वाला व्यक्ति आज अपने लिए समय निकाल पा रहा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में साइकिलों पर या पैदल दौड़ लगाने वाले संवाददाता को अपने मोबाइल अथवा लैपटॉप पर सारी दुनिया की जानकारी प्राप्त हो रही है। हाथ से समाचार लिखने की परम्परा समाप्ति पर है। इंटरनेट की इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी ने ज्ञान और सूचनाओं का अक्षय भंडार एक कमरे में ही व्यक्तियों को उपलब्ध करा दिया है। अब इसे लाइब्रेरियों की खाक छानने की आवश्यकता नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्टिंग, इलेक्ट्रॉनिक एडिटिंग, इलेक्ट्रॉनिक डिजायनिंग, इलेक्ट्रॉनिक टाइप सैटिंग, इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग वाली पत्रकारिता मनुष्य का मूल्यवान समय बचा दिया है। पलक झपकते ही यह सब उपलब्ध हो जाता है। पहले कहा जाता था- 'जहाँ कुछ भी घटता है, हम वहाँ होते हैं" पर आज यह अवधारणा बदल गयी है। आज का इलेक्ट्रॉनिक पत्रकार कहता है- "जहाँ कुछ घटता है, हम आपको वहाँ ले चलते हैं।" आज खबरें आँखों से पढ़ी कम आँखों से देखी अधिक जाती हैं। बच्चों तथा किशोरों को इसका अत्यधिक लाभ होता है।
(5) मनोरंजन - आज आधुनिक जनसंचार माध्यमों के आधुनिक विकसित तकनीक से युक्त होने के कारण मनोरंजन की सुविधा में भी अभूतपूर्व क्रान्ति आई है। रेडियो, टी.वी. और फिल्मों में नित नई तकनीक का विकास हो रहा है। कम्प्यूटर ग्राफिक्स, एनीमिटिड पिक्चर्स ने फिल्मों को नया बाना पहनाया है। हॉलीवीड की फिल्में जिस चमत्कार को दिखाकर शिक्षित समाज को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं, वही तकनीक आजकल हिन्दी फिल्मों में दिखाई पड़ने लगी हैं। डिजिटल फोटोग्राफी, डिजिटल साउंड ने टी.वी. व फिल्मों को नई सजधज दी है।
दूसरी तरफ संगीत अथवा फिल्मों के लिए व्यक्ति को सिनेमाघर तक जाने की भी आवश्यकता नहीं रह गयी है। घर के पी.सी. या केबल टी.वी. पर मनचाहा संगीत व मनचाही फिल्म उपलब्ध है।
कन्वर्जेंस की तकनीक से होम थियेटर अपने कम्प्यूटर पर ही उपलब्ध हो गया है।
महत्त्वपूर्ण घटनाओं का विश्लेषण जो मीडिया द्वारा प्रकाश में लाई जाती है तथा पैदा की जाती है-
(1) जब मीडिया द्वारा बाल शोषण की घटनाओं पर से पर्दा उठाया जाता है तो बच्चे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं। मीडिया द्वारा ही शोषण करने वाले लोगों को उजागर किया जाता है।
(2) जहाँ पर बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है वहाँ मीडिया द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है। मीडिया के हस्तक्षेप का भय जब लोगों में होता है तो बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन पर काफी रोक लगती है।
(3) मीडिया द्वारा बच्चों तथा किशोरों के सन्दर्भ में समाज में एक प्रवृत्ति का निर्माण किया जाता है जिसका प्रभाव प्रौढ़ों पर भी पड़ता है कि उन्हें बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ।
(4) मीडिया बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों को. सख्ती से लागू करने के लिए दबाव बनाता है और उसकी कमियों को लोगों के सामने उजागर करता है। यदि उन कानूनों में कोई खामियाँ होती है तो उन्हें दूर करने का संकेत भी देता है।
(5) मीडिया की मदद से बालक तथा किशोर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उन्मुख होते हैं।
(6) ऐसी बहुत-सी संस्थाएं हैं जो बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य करती हैं उन संस्थाओं के बारे में मीडिया द्वारा मदद की जाती है।
(7) बच्चों के कल्याण के लिए सरकार तथा प्रशासन द्वारा अनेक कार्यक्रम तथा नीतियाँ बनाई जाती हैं। इन कार्यक्रमों तथा नीतियों को जन-जन तक पहुँचाने में मीडिया की मुख्य भूमिका होती है।
(8) समाज में अनेक स्थितियाँ व परिस्थितियाँ होती हैं जहाँ बच्चे आसानी से शोषण के शिकार हो सकते हैं। मीडिया माता-पिता को उन परिस्थितियों से अवगत कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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