बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विभिन्न श्रेणी के लोगों के लिए पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
विभिन्न श्रेणियों के लोगों के लिए पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
1. औपचारिक पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम - इस श्रेणी में देश का सबसे बड़ा समूह विद्यार्थी जगत आता है, जो प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, सैकेण्डरी स्तर पर तथा विश्वविद्यालय स्तर पर विद्या अध्ययन करता है। आज का छात्र कल देश का कर्णधार तथा विश्व की ऊँचाई पर कहीं अधिक पहचान बनाने वाले व्यक्ति के रूप में उभरेंगे। इसलिये इनको पर्यावरण का ज्ञान कराना अत्यन्त आवश्यक है। अतः स्वयं अपने जीवन को सँवारे तथा अपने परिवार का मार्गदर्शन करें, समाज को नवीन दिशा दें तथा देश को पर्यावरण की समस्याओं से बचायें और अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों में सहयोग करें।
2. अर्द्ध-औपचारिक पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम - राष्ट्रीय योजनाओं एवं इसी प्रकार के अनेक कार्यक्रमों को बनाने के लिये तथा क्रियान्वयन करने एवं आवश्यकता पड़ने पर उनके परिणामों से सामना करने तथा उसका हल निकालने में प्रशासक, उच्च अधिकारी एवं निर्माणकर्त्ताओं की प्रमुख भूमिका रहती है। इसलिये इन सभी लोगों को पर्यावरण से सम्बन्धित जानकारी देनी चाहिये। सभी संस्थानों के अधिकारी एवं कर्मचारियों को भी पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये आवश्यक कर दी जाये। यही नहीं बल्कि कारखाने, अस्पताल, इंजीनियरिंग संस्थान आदि के लोगों को भी इसमें शामिल करना चाहिये।
3. अनौपचारिक पर्यावरण शिक्षा पाठ्क्रम - अशिक्षित और ऐसे लोग जो गाँवों में रहते हैं तथा जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं है, उनके लिये उनकी आवश्यकता के अनुसार ज्ञान एवं जानकारी उपलब्ध करानी चाहिये । पशु सुरक्षा, भूमि रख-रखाव, फसलों की कीड़ों से रक्षा, स्वच्छ आवास, स्वास्थ्य शिक्षा, रोग एवं उनसे बचने के उपाय, सिगरेट, तम्बाकू के सेवन से हानियाँ, मद्यपान निषेध आदि अनेक ऐसे ज्ञान के प्रकरण हो सकते हैं जो पर्यावरण के ही घटक हैं। इसके ज्ञान के लिये दूरदर्शन बहुत उपयोगी हो सकता है। इसके अलावा लघु नाटक, कठपुतली, नाटक, गीत, लोकगीत, गाँवों के मेलों में प्रदर्शनियाँ आदि का आयोजन करना चाहिये।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि एक अच्छा सूचना संग्रहीत सन्तुलित सब की रुचि का तथा पर्यावरणीय आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकने वाला पाठ्यक्रम निश्चय ही पर्यावरण शिक्षा को एक सफल कार्यक्रम के रूप में संचालित कर सकता है। अतः पाठ्यक्रम को इस शिक्षण प्रक्रिया में सर्वाधिक महत्त्व दिया जाना चाहिए।
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