बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पर्यावरण मित्रता पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
पर्यावरण को न देखा जा सकता है न बाँटा जा सकता है। इसकी तो केवल अनुभूति की जा सकती है। पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा, शुद्ध होगा तो मन प्रसन्न रहेगा अन्यथा मन बेचैन रहेगा। मानव को प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना है, अपने पर्यावरण से मित्रता करनी है। प्रकृति का मानव ने दोहन किया है और प्रकृति ने सब कुछ हँसकर सहन किया है। अपनी ओर से पर्यावरण ने मानव के साथ मित्रता दिखाई है, मानव को भी इसके साथ मित्रता निभानी है । वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु आदि प्रकृति के सन्तुलन को बनाये रखते हैं। इनमें कमी या आवश्यकता से अधिक होना मानव के हानिकारक है। इनके सन्तुलन चक्र को बनाये रखना प्रत्येक मानव का कर्त्तव्य है। पर्यावरण मित्रता पर्यावरणीय स्थिति का द्योतक है। यदि पर्यावरण को अशुद्ध और असंतुलित करके हम उसकी मित्रता का अनादर करते हैं। हमारा जीवन घुटनभरा, दुखी और अस्वस्थ होगा। पर्यावरण में दो प्रकार के कारक होते हैं— सजीव और निर्जीव । पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि सजीव कारक हैं और वायु, मिट्टी, ध्वनि आदि निर्जीव कारक | पर्यावरण में प्रायः भौतिक या जड़-वस्तु पर्यावरण और जैविक या जीव-जन्तुओं से बने पर्यावरण के सन्तुलन की आवश्यकता होती है। दुर्भाग्य से आज मानव पर्यावरण को प्रदूषित करने पर तुला हुआ है।
अतः कहने का अभिप्राय यही है कि आज जहाँ देखिये वहीं किसी न किसी प्रकार का प्रदूषण अवश्य है । ऐसा लगता है मानो मानव विकास की दौड़ में इतना अधिक मग्न है कि उसे अपने पर्यावरण की ओर देखने का समय ही नहीं है । वह यह भूलता-सा रहा है कि उसे तो इस पृथ्वी पर ही रहना है। अतः अब ऐसा समय आ गया है जब देश के या विश्व के प्रत्येक व्यक्ति में, चाहे वह बच्चा हो या वृद्ध, अपने वातावरण के प्रति सजगता, जागरुकता, चेतना और पर्यावरण मित्रता को विकसित करने की आवश्यकता है। तभी इस गम्भीर समस्या का समाधान गम्भीरतापूर्वक किया जा सकता है।
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