बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मानव तथा पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं?
उत्तर-
मानव प्रत्येक प्रकार के क्रियाकलापों के लिए पर्यावरण पर निर्भर है। मानव एक कलाकार के रूप में पर्यावरण द्वारा प्रदत्त रंगमंच पर कार्य करता है। कहीं पर्यावरण उसे प्रभावित करता है तो कहीं मानव पर्यावरण के साथ अनुकूलन तथा परिवर्तन करता है। इसे पर्यावरण समायोजन भी कहते हैं। पर्यावरण के मानव पर पड़ने वाले प्रभाव निम्न हैं-
1. प्रत्यक्ष प्रभाव - पर्यावरणीय प्रभाव के अन्तर्गत जलवायु का प्रभाव प्राकृतिक वनस्पति और मिट्टियों द्वारा मानव पर पड़ता है। इससे मनुष्य के कद, शारीरिक बनावट, रंग आदि पर पड़ता है। पर्यावरण मनुष्य की शारीरिक शक्ति को भी प्रभावित करता है।
2. मानसिक प्रभाव - पर्यावरण के यह प्रभाव मनुष्य के धर्म, साहित्य, भाषा तथा आचार-विचार में परिलक्षित होते हैं। मनुष्य के धार्मिक विचार उसके पर्यावरण की ही उपज हैं। भाषा पर भी पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है।
3. आर्थिक व सामाजिक प्रभाव - किसी स्थान विशेष की भौगोलिक अवस्थाएँ ही इस बात का निर्धारण करती हैं कि वहाँ आवश्यक वस्तुओं की प्राप्ति सरलता से होगी अथवा कठिनाई से। वहाँ कैसे उद्योग विकसित हो सकते हैं ? यह उनके आर्थिक व सामाजिक स्तर को प्रभावित करता है।
4. मानवीय गतिविधियों पर प्रभाव - पहाड़ों, मरुस्थलों, दलदलीय क्षेत्रों व समुद्री क्षेत्रों आदि का प्रभाव मानवीय रहन-सहन, सोच, व्यवहार तथा गतिविधियों पर पड़ता है। मार्गों की व्यवस्था, त्यौहार मनाने के तरीके, खान-पान, पहनावा इत्यादि इसी पर्यावरणीय प्रभाव के चलते निर्धारित होते हैं।
विगत वर्षों में मानव ने पर्यावरण का अत्यधिक दोहन किया है । यथार्थ में जीव और पर्यावरण अन्योन्याश्रित हैं। एक से दूसरे की पृथक सत्ता की कल्पना करना असंभव है। सभी जीवों का अस्तित्व उसके आस-पास के चारों ओर के पर्यावरण पर निर्भर करता है। पर्यावरण जीवों को आधार ही प्रदान नहीं करता वरन् उनकी विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए माध्यम का भी कार्य करता है।
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति का मूल्य स्वयं मानव ने पर्यावरण की वृहद समस्या उत्पन्न करके चुकाया है जो जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, कृषि उपज के प्रदूषण, रसायन का अति प्रयोग, खाद्य पदार्थों में मिलावट, घटते वन तथा वन्यजीव विकिरण के जैवीय प्रभाव, अति जनसंख्या इत्यादि ।
मानव तथा पर्यावरण की अन्योन्य क्रिया का विस्तृत अध्ययन करने के लिए इन्हें दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1. मानव और पर्यावरण क्रिया का कालिक पक्ष
2. मानव और पर्यावरण क्रिया का स्थानिक पक्ष।
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