बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पद्य शिक्षण में भावानुभूति प्रश्नों के महत्त्व को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
पद्य शिक्षण में भावानुभूति प्रश्नों का महत्त्व'
पद्य शिक्षण में भावानुभूति प्रश्नों का विशेष महत्त्व होता है। भाव का अर्थ तात्पर्य होता है अन्तर्निहित अर्थ। इन प्रश्नों के द्वारा छात्रों को पद्यांशों में अन्तर्निहित अर्थों, भावों, विचारों तथ्यों तथा सूचनाओं इत्यादि का ज्ञान कराया जाता है। यह प्रश्न शिक्षण कार्य के दौरान सस्वर पाठन, उच्चारण, अभ्यास तथा अनुकरण वाचन के उपरान्त शिक्षकों द्वारा छात्रों से पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से ही शिक्षक छात्रों के विषयगत ज्ञान तथा उनकी बौद्धिक क्षमताओं का पता लगाते हैं। छात्रों द्वारा भावानुभूति प्रश्नों के दिए गए उत्तरों के आधार पर ही शिक्षक अपने भावी शिक्षण कार्य में आवश्यकतानुसार संशोधन - या परिवर्तन कर सकते हैं। जैसे- 'पाहन पूजै हरि मिलें, तो मैं पूजूँ पहाड़' से क्या तात्पर्य है? इस प्रश्न को (यदि बालकों से पूछा जाये और इसके उत्तर- से बालक यदि इसका सही-सही भावार्थ (कि यदि पत्थर को पूजने से ईश्वर की प्राप्ति हो सकती होती तो मैं पहाड़ की ही क्यों न पूजा करना शुरू कर दूँ अर्थात् ईश्वर पत्थर को पूजन से नहीं अपितु हमारी भावना तथा विश्वास के बल पर हमें अपनी ऊर्जावान अनुभूति कराते हैं।) को व्यक्त करने में सक्षम नहीं हो तो शिक्षक को अपने शिक्षण कौशल से बदलाव सुधार करने की जरूरत होगी और वह ऐसा कर भी सकेगा।
पाठ योजना के निर्माण में ही शिक्षक भावानुभूति प्रश्नों को यथास्थान नियोजित कर लेता है इस नियोजन में छात्रों के सम्भावित उत्तरों को भी नियोजित कर लिया जाता है यदि शिक्षण के दौरान सब कुछ पाठ योजनानुसार चलता रहता है तो इन प्रश्नों के माध्यम से शिक्षक छात्रों को विषय का क्रमिक ज्ञान कराते हुए विषय-वस्तु को आगे बढ़ाता रहता है किन्तु यदि छात्र उपयुक्त उत्तर- नहीं दे पाते तो शिक्षक अपनी योजना में तत्काल आवश्यक संशोधन एवं परिवर्तन कर लेते हैं।
इस प्रकार भावानुभूति प्रश्न पद्य शिक्षण के प्रमुख केन्द्रीय अन्तनिर्हित भावों को छात्रों तक सम्प्रेषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके द्वारा छात्रों के पूर्वज्ञान का भी पता लगाया जा सकता है तथा भावी शिक्षण की योजना का निर्माण भी किया जाता है। यह प्रश्न विषय के भाव को आत्मसात् कराते हुए पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। यह छात्रों को सक्रिय अनुशासित तथा उनके ध्यान को केन्द्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यही कारण है कि पद्य शिक्षण में भावानुभूति प्रश्न अनिवार्य और आवश्यक अंग के रूप में माने जाते हैं।
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